देहरादून : मेडिकल कॉलेजों में 1455 पदों पर नर्सिंग अधिकारियों की भर्ती में अधिकतर बाहरी और जिनको नौकरी मिल चुकी है उन्हूने फार्म भरे, त्रिवेन्द्र रावत और डीजी हेल्थ के सामने रखा मामला

9 जुलाई से दस्तावेज वेरिफिकेशन प्रक्रिया हो रही है शुरू मेडिकल कॉलेजों में 1455 पदों के लिए अभ्यर्थियों की

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  • पूर्व CM व् वर्तमान हरिद्वार सांसद  त्रिवेंद्र  सिंह रावत और डीजी हेल्थ डॉक्टर तारा आर्य  के सामने  रखी नर्सिंग  बेरोजगारो की ब्यथा उत्तराखंड नर्सिंग महासंघ ने
  • मेडिकल कॉलेजों में 1455 पदों पर भर्ती में फार्म अधिकतर उन्हूने भरे हुए हैं जिनको नौकरी पहले मिल चुकी है, ऐसे में उनको नियुक्ति न दी जाए. 
  • बाहरी यानी दूसरे राज्यों के लोगों ने काफी फार्म भरे हुए हैं नकली दस्तावेज बनाकर उनकी जांच हो 
  • लम्बे समय से लड़ता आया है नर्सिंग बेरोजगारों की लड़ाई उत्तराखंड नर्सिंग महासंघ 
  • इससे पहले शासन प्रशासन, अधिकारियों, हेल्थ मनिस्टर के सामने रख चुका है महासंघ इस गंभीर समस्या को 
देहरादून : नर्सिंग महासंघ ने शुक्रवार को  डीजी हेल्थ डॉक्टर  तारा आर्य  पूर्व मुख्यमंत्री व् वर्तमान हरिद्वार से सांसद त्रिवेन्द्र सिंह रावत से मुलाकात की. इस दौरान नर्सिंग महासंघ ने बेरोजगारों की गंभीर समस्या की तरह ध्यान दिलाया. महासंघ ने अपनी  बात दोनों जगह रखी. साथ ही राज्य  सरकार से मांग की है जो बेरोजगार हैं जिनको हक मिलना चाहिए.
नर्सिंग  महासंघ उत्तराखंड के पदाधिकारी देहरादून में  पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान हरिद्वार से  लोकसभा  सांसद  त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिले साथ ही महानिदेशक (डीजी हेल्थ) तारा आर्य  से भी मिले. दोनों जगह  महासंघ ने बेरोजगारों के अहम बिन्दुओं को प्रभावी तरीके से सामने रखा. नर्सिंग महासंघ के अध्यक्ष हर्ष व्यास के नेंत्रत्व में मिलने पहुंचा तो प्रतिनिधिमंडल. इस दौरान रावत ने आश्वासन दिया है,  उनकी बात को वे सरकार तक जल्द  पहुचाएंगे. दूसरी तरफ डीजी हेल्थ ने भी मामले को उनके संज्ञान में लाने के लिए महासंघ की तारीफ की साथ ही कहा इस पर विचार करेंगे.  इस दौरान महासंघ ने मेडिकल कॉलेज के 1455 पदों पर भर्ती जो हो रही है उसको लेकर बेरोजगारों की चिंता से अवगत कराया. सबसे पहले अहम नर्सिंग महासंघ ने जो महत्वपूर्ण बातें सामने रखी वे निम्न प्रकार हैं-
  1. मेडिकल कॉलेज के 1455 पदों पर भर्ती के मामले में 9 जुलाई  से दस्तावेज यानी कागजात वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू हो रही है. अलग अलग तारीखों में.
  2. महासंघ ने चिंता जताई जो पदों पर फार्म भरे गए हैं उनमें अधिकतर वो लोग हैं जिनको कुछ महीने पहले सरकारी  नौकरी मिल गयी है, वे जिलों में सरकारी हॉस्पिटल्स में नौकरी कर रहे हैं.
  3. ऐसे में फिर से उन्ही का नंबर आएगा. उनका क्या होगा जो इन्तजार कर रहे हैं ?
  4. महासंघ ने बताया ने काफी लोग ऐसे हैं जो बाहरी हैं यानी दूसरे राज्यों के, फर्जी दस्तावेज बनाकर यहाँ पर फॉर्म भरे गए हैं. ऐसे में सरकार की  पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े होते हैं.
  5. महासंघ ने कहा, जिन सामान्य वर्ग (जनरल केटेगरी) के अभ्यर्थियों का  नंबर नहीं आया था पिछली नियुक्ति में और अब खास तौर पर  2013, 2014 और  2015 बैच के अभ्यर्थी,  वे कैसे रोजगार पायेंगे ? वे ओवर एज (उनकी उम्र निकल रही है) हो रहे हैं. ये न्यायसंगत नहीं है. उनकी बात सुननी चाहिए. ऐसे में उनका क्या दोष है ? भर्ती निकली नहीं पहले कई साल फिर निकली तो उनका नंबर नहीं आया. 
  6. महासंघ ने आगाह करते हुए बताया, अगर पहले से सरकारी नौकरी पाए हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी फिर से तो अधिकतर पहाड़ के हॉस्पिटल खाली हो जायेंगे. 
उत्तराखंड नर्सिंग महासंघ के  अध्यक्ष हर्ष व्यास का कहना है, जब पहले से लोगों को नौकरी मिल चुकी है नर्सिंग अधिकारी के पद पर,  सभी ने ज्वेवाइन भी कर लिया है. फिर  इस भर्ती में फार्म भर कर बेरोजगार अभ्यर्थियों का भी रोजगार छीनने का काम कर रहे हैं. ऐसे में उनको नियुक्ति नहीं देनी चाहिए इस भर्ती में . सरकार को इसमें गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए. मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य  मंत्री से आग्रह है जल्द इस पर फैसला लिया जाए.  ऐसे में सरकार को देखना चाहिए. फिर पारदर्शिता कहाँ रह जाएगी. फिर  वर्ष वार भर्ती का क्या औचित्य रह जायेगा ?   ऐसे में डीजी हेल्थ का कहना था उनके संज्ञान में महासंघ ने मामले को रखा है इस पर  विचार किया जायेगा. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल में  मुलाकात करने वालों में प्रीती महेता, मनीष चौहान, भास्कर रावत, विशेष डेनियल, सुषमा नेगी, यशपाल रावत और लोकेन्द्र राणा आदि थे.

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