इंसान के बाद “चीनी खतरे” की चपेट में अब ये परिंदे भी आने लगे, जुगलान आये जान बचाने
एक ओर जहाँ प्रदूषित पर्यावरण के कारण पक्षियों का जीवन संकट में पड़ गया है वहीं दूसरी ओर पतंगबाजी करने वालों द्वारा चाइनीज मांझे के प्रयोग से आये दिन पक्षी घायल हो रहे हैं।रविवार को ग्रामीण क्षेत्र ऋषिकेश की ग्राम सभा खदरी के वार्ड नम्बर 6 निवासी पण्डित हरि भजन पाण्डेय के आँगन में पेड़ पर एक चील मांझे में फंसे होने की सूचना पर प्रकृति एवं वन्यजीव प्रेमी पर्यावरणविद विनोद जुगलान मौके पर पहुँचे और सुरक्षित रेस्क्यू किया। उन्होंने बताया कि चील ब्लैक काईट प्रजाति की वयस्क है और उसका बांया पँख माँजे से लिपटा हुआ था।उन्होंने रेस्क्यू कर घायल चील को वन क्षेत्र ऋषिकेश के वन दरोगा स्वयम्बर दत्त कंडवाल को सौंप कर रेस्क्यू सेंटर भेजने का आग्रह किया।जुगलान ने कहा एक ओर पर्यावरण मित्र गिद्ध और चील का जीवन प्रदूषित पर्यावरण के कारण संकट में चल रहा है दूसरी ओर चाइनीज मांझे के प्रयोग से चील कबूतर और गौरैया आदि पक्षी आये दिन बिजली के खम्बों और पेड़ों पर पतंग के साथ लिपट कर मर रहे हैं।प्रसाशन को चाइनीज माँजे पर शक्ति के साथ रोक लगाने की जरूरत है।यदि समय रहते ध्यान न दिया गया तो आने वाले दस वर्षों में ये पक्षी विलुप्ति की कगार पर होंगे।
आपको बता दें, ऋषिकेश के आस-पास का बेटल बर्डिंग के लिए काफी अच्छा है. यहाँ काफी संख्या में अलग-अलग किस्म के पक्षी देखने को मिलते हैं. ऐसे में अगर यही हाल रहा तो वाकई पक्षियों को नुक्सान पहुंचेगा. कई का पता भी नहीं चलता और दम तोड़ देते हैं. वहीँ, मौके पर वन दरोगा स्वयम्बर दत्त कण्डवाल,वनकर्मी मनोज कुमार,स्थानीय हिमांशु पाण्डेय, प्रियंका रिंगोला, लक्ष्मी देवी आदि उपस्थित रहे।

चाइनीज मांझा होता क्या है ?
जानकारों का कहना है कि चाइनीज मांझा का निर्माण धागे से नहीं नायलान से किया जाता है। यही कारण है कि यह काफी मजबूत होती है। जैसे ही चाइनीज मांझा किसी के गले, हाथ या अन्य अंगों में फंसती है तो वह उसे काट देती है। सामान्य डोर धागे की बनी होती है।
ऐसे तैयार होता है चाइनिज मांझा-
एक मांझे धागे पर अरारोट की कोटिंग करके तैयार किया जाता है. वहीं दूसरा मांझे में अरारोट के साथ कांच के महीन चूरे से तैयार किया जाता है. लेकिन पिछले कुछ समय से मार्किट में चाइनीज मांझे भी आ गए हैं. जो की मैटेलिक पाउडर से तैयार किया जाता है.
चाइनीज मांझे की तरह स्पेशल तरीके से तैयार किए गए भारतीय मांझे भी काफी खतरनाक होते हैं। इन स्पेशल मांझों को बनाने के लिए कांच का इस्तेमाल होता है। कांच को पहले बारिक पीसा जाता है। इसमें हल्के पतले ग्लास जैसे ट्यूबलाइट, बल्ब, मिनी लाइट्स और टॉर्च के कांच का इस्तेमाल होता है।