ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन में महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती भौतिक शरीर का त्याग कर ब्रह्मलीन हुए, कल कर सकेंगे अंतिम दर्शन

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  • परम विद्वान, परम वीतराग, परम विख्यात, प्रातः स्मरणीय पूज्यपाद महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती  महाराज, परमार्थ निकेतन में  शरीर का त्याग कर ब्रह्मलीन हुए, हरिद्वार में ली अंतिम सांस 
  • परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश में उनका पार्थिव शरीर 2 दिसम्बर 2025, दोपहर 1 बजे तक दर्शनार्थ रखा जाएगा। सभी श्रद्धालु एवं भक्त अंतिम दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकें
महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती

ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन की तरफ से जानकारी देते हुए बताया गया, सोमवार को गीता-जयंती एवं मोक्षदा एकादशी के पावन दिन दोपहर 1 बजे, हरिद्वार में परमपिता परमात्मा के श्रीचरणों में अपने भौतिक शरीर का त्याग कर ब्रह्मलीन हुए।पूज्य स्वामी महाराज कई महीनों से शारीरिक दुर्बलता एवं वृद्धावस्था की व्याधियों से ग्रस्त थे। दिल्ली व अन्य बड़े शहरों के अस्पतालों में लगातार उपचार चल रहा था; किन्तु अंतिम निर्णय तो परमात्मा का ही होता है—आज वे ब्रह्मलोक को प्रस्थान कर गए।अभी 15 अक्टूबर को पूरे परमार्थ परिवार ने दिव्य उत्साह के साथ उनके 90 वर्ष पूर्ण होने पर हर्षोल्लास से उत्सव मनाया था। उनका जाना दैवी सम्पद मंडल परिवार के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

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पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती  महाराज ने कहा कि स्वामी असंगानन्द सरस्वती  महाराज ने नौ वर्ष की आयु में ही अपने जीवन को परम पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी शुकदेवानन्द सरस्वती  महाराज के श्रीचरणों में समर्पित कर दिया। वे शाहजहाँपुर में अध्ययन हेतु पधारे, तत्पश्चात परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश आए, जहाँ उन्होंने अध्यापन किया, साधना की, और जीवनभर विश्वभर से आने वाले श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करते रहे।उनका सरल, सहज, करुणामय और सबको अपना बनाने वाला स्वभाव—उनकी साधना, संस्कार, सत्संग, उपदेश तथा सनातन धर्म के प्रति अटूट समर्पण—हमारे हृदयों में सदैव जीवंत रहेगा। दैवी सम्पद मंडल के माध्यम से उनकी सेवा, तपस्या, ज्ञान-प्रसार और धर्म-रक्षा की परंपरा सदैव हमें दिशा देती रहेगी।पूरे दैवी सम्पद मंडल व परमार्थ निकेतन परिवार की ओर से उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि एवं कृतज्ञतापूर्वक नमन। उनकी पुण्य स्मृति हमें सदैव प्रेरणा देती रहेगी।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ,  साध्वी भगवती सरस्वती  तथा सभी ऋषिकुमारों ने उनकी आत्मा की शान्ति हेतु दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।आश्रम की तरफ से बताया गया,  परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश में उनका पार्थिव शरीर 2 दिसम्बर 2025, दोपहर 1 बजे तक दर्शनार्थ रखा जाएगा। सभी श्रद्धालु एवं भक्त अंतिम दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे।पूज्य स्वामी  की शिक्षाओं, आदर्शों और अद्भुत ज्ञानपरंपरा को आगे बढ़ाना ही हमारे लिए उनका सच्चा सम्मान है।

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