डीजल लॉबी के सामने रेल कर्मियों की पत्नी व बच्चों ने बैनर,पोस्टर व तख्ती लेकर किया जोरदार प्रदर्शन
बोलीं-पति का फोन जमा कराना रेलवे की तानाशाही


दीपांकुश चित्रांश की रिपोर्ट-
सुल्तानपुर रेलवे स्टेशन पर चल रहे प्रदर्शन को कर्मचारियों की पत्नियों ने दिया धार, बोलीं-पति का फोन जमा कराना रेलवे की तानाशाही. सुल्तानपुर जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक का दृष्य देखने वाला था। रेल कर्मियों का यहां प्रदर्शन चल रहा था। जिसमें कर्मचारियों की पत्नियां व बच्चे बैनर, पोस्टर व तख्ती लेकर प्रदर्शन में पहुंच गए। महिलाओं ने कहा कि लोको पायलट का फोन जमा कराना रेल प्रशासन की तानाशाही है। यदि हमें आपात स्थिति का सामना करना पड़ा तो हम किससे मदद मांगेंगे।नार्दन रेलवे मेंस यूनियन के बैनर तले 2 दर्जन से अधिक महिलाए अपने पति के खिलाफ कसे जा रहे शिकंजे और रनिंग रूम में जमा कराए जा रहे मोबाइल फोन से काफी आहत दिखाई दी। प्रदर्शन के दौरान रेल प्रशासन पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए रेल कर्मचारी की पत्नियों ने कहा कि हमारे बच्चों की तबीयत खराब हो या और कोई परिवार में समस्या आए तो हम किससे संपर्क करें। ऐसी दशा में फोन पर संपर्क कर पति से मार्गदर्शन तो हम ले ही सकते हैं। 72 घंटे से अधिक समय तक ड्यूटी पर बाहर रहने के चलते हमें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कर्मचारी पत्नियों के आगे आने पर नॉर्दन रेलवे मेंस यूनियन के पदाधिकारी भी लामबंद हो गए हैं और डीजल लॉबी के सामने जोरदार प्रदर्शन किया है।
रेल कर्मियों ने भारत सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए अपने बुनियादी हक को बहाल करने की आवाज उठाई गई है। प्रदर्शन के दौरान विभिन्न विभागों के कर्मचारी भी डीजल लॉबी के सामने एकत्र हुए और बैनर पोस्टर लेकर रेल मंत्रालय के नए फरमान के मुखालफत में विरोध प्रदर्शन करते हुए नजर आए। विनीता पांडे कहती हैं कि हमें इतना पैसा नहीं मिलता है कि हम अपनी बेसिक नीड को पूरा कर सकें। बच्चों को पढ़ा लिखा सकें और अन्य कार्य कर सकें। छोटे बच्चे बीमार हो रहे हैं। महिलाएं बाहर नहीं निकल सकती हैं तो ऐसी दशा में बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अर्चना यादव कहती हैं कि सरकार हमारे पतियों के साथ ऐसा उत्पीड़न करेगी तो हम कैसे रह पाएंगे। फोन ले लिया जाता है, बच्चों के बीमार होने की दशा में हम किसकी मदद लेंगे। नेहा सिन्हा कहती हैं कि हेड क्वार्टर की तरफ से सहयोग नहीं किया जा रहा है। नौकरी लेने की चेतावनी दी जाती है। मोबाइल बंद करने से लोको पायलट अपने परिवार से संपर्क छोड़ देता है। जब वह परिवार से बात नहीं कर पाएंगे तो दिमागी तनाव में रहेंगे। वंदना पांडे कहती हैं कि ज्यादातर कर्मचारी फ्रस्ट्रेट हैं। पर्सनल लाइफ डिस्टर्ब हो गई है। 16 घंटे की बुकिंग में रेल अफसरों की तरफ से काम लेने से अपने परिवार को समय नहीं दे पाता है।