UP: नोएडा प्राधिकरण की 210वीं बोर्ड बैठक का महत्वपूर्ण निर्णय: तीनों प्राधिकरण मिलकर उठाएंगे यातायात को सुधारने का बोझ

नोएडा : (राजेश बैरागी) यदि नोएडा प्राधिकरण की आज रविवार को हुई 210 वीं बोर्ड बैठक में लिए गए सबसे महत्वपूर्ण निर्णय का चुनाव करना हो तो मैं तीनों प्राधिकरण क्षेत्र में बढ़ रही यातायात भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए सलाहकार नियुक्त करने के निर्णय को चुनूंगा।सलाहकार की नियुक्ति के लिए बाकायदा रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल आमंत्रित किया जाएगा और इस पर आने वाला खर्च तीनों प्राधिकरण मिलकर उठाएंगे। हालांकि इस बोर्ड बैठक में किसानों को राहत देने के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
नये सीईओ लोकेश एम द्वारा आयोजित पहली बोर्ड बैठक की अध्यक्षता प्राधिकरण अध्यक्ष और राज्य के औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने की जबकि उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास एवं अवस्थापना अनिल कुमार सागर ऑनलाइन जुड़े। लगभग डेढ़ दर्जन प्रस्तावों पर विचार हुआ।भवन मानचित्र स्वीकृत करने व पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने का शुल्क दुगुना करने, सेक्टर 42 के ले आउट प्लान में संशोधन करने जैसे निर्णय लिए गए। परंतु इस बैठक का महत्व तीनों प्राधिकरण नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यीडा क्षेत्र में दिनों-दिन बढ़ रहे यातायात भीड़ को व्यवस्थित करने के संबंध में लिए गए निर्णय से ही है। बोर्ड ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के इस हिस्से में निरंतर बढ़ रही औद्योगिक, व्यापारिक व आवासीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप बढ़ रही यातायात भीड़ पर गंभीरता से विचार किया।इस यातायात भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए एक सलाहकार की नियुक्ति की आवश्यकता अनुभव करते हुए इस हेतु रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया। यह सलाहकार तीनों प्राधिकरणों के क्षेत्र में यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने का उपाय सुझाएगा। इस पर आने वाला खर्च तीनों प्राधिकरण समान रूप से वहन करेंगे।
इस बोर्ड बैठक से किसानों को कुछ भी हासिल नहीं हुआ जबकि पांच प्रतिशत भूखंड सहित कई अन्य मांगों को लेकर भारतीय किसान परिषद के बैनर तले किसान पिछले दो माह से नोएडा प्राधिकरण पर धरना दे रहे हैं। हालांकि नये सीईओ लोकेश एम के आने के बाद इस किसान संगठन में फूट पड़ गई है और संगठन के सैकड़ों लोग इस आंदोलन से दूर हो गये हैं जो प्राधिकरण अधिकारियों से हिले मिले रहे हैं।उधर परिषद के अध्यक्ष सुखबीर खलीफा को सफाई देनी पड़ रही है। क्या यह नये सीईओ का कोई मास्टर स्ट्रोक है?