परमार्थ निकेतन में महामंडलेश्वर असंगानंद सरस्वती को दी श्रधान्जली सैकड़ों संत समाज, भक्तों ने, स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा “दैवी सम्पद् मंडल के एक युग का अंत”

परमार्थ निकेतन में महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती महाराज को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी सैकड़ों संतों और भक्तों ने

Ad
ख़बर शेयर करें -
  • परम विद्वान, परम वीतराग, परम वैरागी, प्रातः स्मरणीय महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती  महाराज को भावपूर्ण श्रद्धांजलि व शत-शत नमन, दी गयी जल समाधी 
  • संत-समाज का उमड़ा स्नेह, श्रद्धा और प्रणाम…परमार्थ निकेतन की विश्व विख्यात गंगा आरती  महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती  महाराज के श्रीचरणों में श्रद्धांजलि स्वरूप की समर्पित
  • मुमुक्ष आश्रम शाहजहांपुर  के मुख्य अधिष्ठाता, स्वामी चिन्नमयानन्द सरस्वती  महाराज, सचिव महानिर्वाणी अखाड़ा,  मंहत  रविन्द्र पुरी  महाराज, रायबरेली आश्रम से स्वामी ज्योतिर्मयानन्द सरस्वती  महाराज, हरिद्वार से  महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द  महाराज, अमर प्रेम आश्रम हरिद्वार,  महामण्डलेश्वर स्वामी प्रेमानन्द  महाराज, आनन्द धाम हरिद्वार,  महामण्डलेश्वर स्वामी विवेकानन्द सरस्वती  महाराज, योगानन्द योग फाउण्डेशन हरिद्वार,  स्वामी सत्यव्रतानन्द सरस्वती  महाराज, गौ सेवा संस्थान जोधपुर,  महामंडलेश्वर गौ ऋषि स्वामी ज्ञान स्वरूपानन्द अक्रिय  महाराज,  स्वामी हरिहरानन्द  महाराज, स्वामी  मैथिलीशरण  महाराज, साध्वी भगवती सरस्वती  भारत के विभिन्न राज्यों से आये अनेक  संतों, महंतों और आचार्यों ने अर्पित की भावभीनी श्रद्धांजलि
  • महाराजश्री   का जीवन, शुचिता, तपस्या और निरंतर सेवा की अमिट धरोहर-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
  • “दैवी सम्पद् मंडल के एक युग का अंत”-स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन परिवार आज अत्यंत वेदन, पीड़ा, शोक और अपार विरह से व्यथित है। परम विद्वान, परम वीतराग, परम वैरागी, प्रातः स्मरणीय  महामण्डलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती  महाराज के दिव्य देवलोक गमन ने सम्पूर्ण संत समाज, दैवी सम्पद् मंडल, परमार्थ निकेतन परिवार और समस्त सनातन जगत को शोकाकुल कर दिया है। उनके साक्षात् दर्शन,     कृपा और प्रेरणा से हम सबने एक दिव्य युग को जिया और आज उनके देवलोक गमन के साथ मानो दैवी सम्पद् मंडल के एक अद्वितीय युग का अवसान हो गया।परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, परम  स्वामी चिदानन्द सरस्वती  महाराज ने विरह से युक्त कंठ में कहा कि आज दैवी सम्पद् मंडल के एक युग का अंत हो गया।
स्वामी असंगानन्द  महाराज का जाना, वास्तव में एक युग का जाना है। वे अपने युग के अद्भुत तपस्वी, तेजस्वी, गंभीर, अंतर्दर्शी और अद्वितीय कर्मयोगी संत थे। वे केवल संन्यास की परम्परा नहीं थे, वे सहिष्णुता, सेवा, त्याग और ज्ञान की जीवित मूर्ति थे। उनकी सरलता, सहजता, करुणा और दिव्य हृदय की सुगंध सदैव हमें मार्गदर्शन देती रहेगी।पूज्य स्वामी  महाराज को समर्पित परमार्थ निकेतन की विश्व-विख्यात गंगा आरती पूर्णतः उनके श्रीचरणों को समर्पित रही। देशभर से पहुँचे पूज्य संतों, महंतों, महामण्डलेश्वरों, आचार्यों, परमार्थ गुरूकुल, कोटद्वार परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों सम्पूर्ण परमार्थ परिवार ने उनका वंदन-नमन किया और भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।मुमुक्ष आश्रम शाहजहांपुर  के मुख्य अधिष्ठाता, पूज्य स्वामी चिन्नमयानन्द सरस्वती  महाराज, सचिव महानिर्वाणी अखाड़ा, पूज्य मंहत  रविन्द्र पुरी  महाराज, रायबरेली आश्रम से पूज्य स्वामी ज्योतिर्मयानन्द सरस्वती  महाराज, हरिद्वार से पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द  महाराज, अमर प्रेम आश्रम हरिद्वार, पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी प्रेमानन्द  महाराज, आनन्द धाम हरिद्वार, पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी विवेकानन्द सरस्वती  महाराज, योगानन्द योग फाउण्डेशन हरिद्वार, पूज्य स्वामी सत्यव्रतानन्द सरस्वती  महाराज, गौ सेवा संस्थान जोधपुर, पूज्य महामंडलेश्वर गौ ऋषि स्वामी ज्ञान स्वरूपानन्द अक्रिय  महाराज, पूज्य स्वामी हरिहरानन्द  महाराज, स्वामी  मैथिलीशरण  महाराज, साध्वी भगवती सरस्वती, स्वामी गंगेश्वरानन्द  तथा देशभर से आये अनेक पूज्य संत, महंत, विद्वान और साधकों सभी ने उन्हें “अखंड तपश्चर्या, दिव्य ज्ञान और शुचिता के ध्रुवतारा” के रूप में स्मरण कर अन्तिम प्रणाम वंदन किया।
पूज्य स्वामी असंगानन्द सरस्वती  महाराज ने अपना संपूर्ण जीवन सनातन परम्परा, संन्यास परम्परा, अद्वैत ज्ञान, शास्त्र-अध्ययन और आध्यात्मिक तप के लिए अर्पित कर दिया। वे संत परम्परा के उन विरल रत्नों में से थे जो मृदुभाषी होते हुए भी गहनतम ज्ञान के धनी थे, जिनकी मौन-वाणी भी आज हम सभी के लिये उपदेश बन गयी। प्रभु समर्पित उनका जीवन स्वयं एक सन्देश था, उनके तेज में तप, उनके वाणी में वेद, और उनके हृदय में करुणा सतत प्रवाहित होती थी। उन्होंने हजारों साधकों के मन में स्थिरता, शांति और ईश्वर-भक्ति का प्रकाश जगाया।पूज्य संतों ने कहा कि पूज्य स्वामी  महाराज की वाणी में संस्कृत-शास्त्रों की गहराई थी, संन्यास-मर्यादा का पूर्ण सौंदर्य था, और उनके हृदय में सभी प्राणियों के लिए अपार दयालुता और करुणा थी।पूज्य स्वामी  के देवलोक गमन ने हम सबको शोकाकुल कर दिया है, परन्तु संत कभी जाते नहीं, वे केवल रूप बदलते हैं। उनकी शक्ति, उनका तेज, उनकी करुणा, उनके आशीर्वाद और उनका आध्यात्मिक मार्गदर्शन सदा-सर्वदा हमारे साथ रहेंगे। उनका जाना केवल एक व्यक्ति का जाना नहीं, यह एक परम्परा का विराम और एक नई प्रेरणा का प्रारम्भ है।
इस अवसर पर स्वामी शुकदेवानन्द ट्रस्ट के ट्रस्टी   व्ही के माहेश्वरी ,  रमन अरोड़ा, साध्वी आभा सरस्वती,  रामअनन्त तिवारी, योगाचार्य  विमल बधावन,  अरूण सारस्वत , परमार्थ गुरूकुल के सभी आचार्यगण, सभी ऋषिकुमार और परमार्थ निकेतन परिवार की ओर से ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी असंगानन्द सरस्वती महाराज के श्रीचरणों में नतमस्तक होकर अंतिम प्रणाम। उनकी शिक्षाओं, उनकी सरलता, उनकी भक्तिभावना और उनकी पवित्र विरासत को अपने जीवन का अंग बनाएँ। पूज्य स्वामी  महाराज आपका आशीष सदा हमारे साथ रहेगा।ब्रह्मलीन पूज्य महामण्डलेेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती  महाराज के श्री चरणों में नमन करते हुये आज रामझूल, स्वर्गाश्रम बाजार बंद रख कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

Related Articles

हिन्दी English