राजाजी पार्क के अन्दर इन खंडहरों में कभी इंसान करते थे बसर, अब जंगली जानवर….जानें मामला
- कभी इन्सानों का #बसेरा हुआ करता था इन खंडहरों में लेकिन अब #जंगली #जानवर घुसे रहते हैं
- चीला-मोतीचूर कोरिडोर में बाधा बन रहे #खंडहर, #कोरिडोर के लिए विस्थापित हुए थे कई परिवार
- जंगल की कहानी अलग ही होती हैं, उनमें से ये भी एक है, वन #महकमा शांत है
ऋषिकेश : ये तस्वीरें कुछ और ही कहानी बयाँ कर रही हैं….कभी इंसान का घर हुआ करते थे ये खंडहर. लेकिन कोरिडोर बनाने के लिए विस्थापित कर दिया गया था लोगों को….लेकिन ये आशियाने आज जंगली जानवरों के ऐशगाह बन कर रह गए हैं. इनको पार्क प्रशासन ने डिस्पोज भी नहीं किया अभी तक. आपको बता दें, राजा जी नेशनल पार्क ने कुछ वर्ष पूर्व आबादी से घिरे मोतीचूर-चीला कॉरिडोर सीमा पर मौजूद खांड गॉव के कुछ परिवारों को विस्थापित भी किया गया था, मगर आधे अधूरे कार्य आज भी राजाजी टाइगर रिजर्व के इस महत्वपूर्ण कोरोडोर में दिखाई देते हैं. अब ये कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं. अब ये खंडहर खतरनाक भी साबित हो रहे हैं. क्यूंकि इनके अन्दर अक्सर जंगली जानवर घुसे रहते हैं. कई बार शिकारी भी छुपे रहने की संभावना रहती है. क्यूंकि यह हरिद्वार और हाइवे से लगता हुआ इलाका है. ऐसे में शिकारी भी शक्रिय रहते हैं. कुछ वर्ष पूर्व इस कॉरिडोर में आ रहे कुछ परिवारों को यहां से विस्थापित करने के साथ ही करोड़ों की लागत से हरिद्वार-देहरादून हाइवे पर फ्लाइओवर भी बनाया गया था. मगर कई वर्ष बीत जाने के बाद भी राजाजी टाइगर रिजर्व द्वारा विस्थापित किए गए लोगों के मकान डिस्पोज नहीं किए गए हैं. अब ये जंगल में ऐसे ही दिखाई देते हैं. एक ओर जहां ये खंडहर कॉरिडोर में बाधा बन रहे हैं. वहीं असमाजिक तत्वों व शिकारियों की दृस्टि से भी ये अतिसंवेदनशील भी बने हुए है. क्या राज्य वन महकमा व राजाजी प्रसाशन इसकी सुध लेगा, यह बड़ा सवाल है ? कोको रोजे, निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व, ने बताया, खांड गांव 3 को विस्थापित कर दिया गया था, वहां खाली पड़े मकानों के बारे मे दिखवाया जायेगा की वह प्रॉपर्टी हैंडओवर हुई है या नहीं, उसी के बाद कारवाही की जाएगी।