(लेख) राष्ट्रप्रथम- हिम्मत कैसी हुई तुम्हारी ?
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राष्ट्रप्रथम-
हिम्मत कैसी हुई तुम्हारी?
-पार्थसारथि थपलियाल
श्रीमदभगवदगीता के पहले अध्याय में अर्जुन विषाद ग्रस्त हो जाता है। उसकी भावनाएं सावन के बादलों जैसी उमड़ घुमड़ कर चारों ओर से घेर लेती है। ये, वे लोग हैं जिनकी गोदी में मैं पला बढ़ा हूँ, आज ये हालात हो गए कि मैं उन्हें मारने की आकांक्षा लेकर कुरुक्षेत्र की रण भूमि में हूँ। मुझे नही लड़ना है। जब मेरे अपने ही नही होंगे तब या विजय क्या काम आएगी। दूसरी ओर सारथि श्रीकृष्ण हैं जो बता रहे हैं उसे कौन नही समझना चाहेगा। हे अर्जुन युद्ध के मैदान में जो भी खड़ा है उसे अपनी विजय दिखाई दे रही है। युद्ध भूमि में इस तरह का ज्ञान कायरता है। जो मारा जाएगा वह स्वर्ग जाएगा जो जीतेगा पृथ्वी का उपभोग करेगा। क्या युद्ध का मैदान छोड़कर तुम हार का कलंक मस्तक पर लगाना पसंद करोगे? इसलिए अपने स्वाभिमान के लिए उठो और युद्ध करो। 24 फरवरी से शुरू रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन ने स्वाभिमान का रास्ता चुना। लड़ाइयां अपने दम पर लड़ी जाती हैं, दूसरों के कंधों पर मुर्दे जाते हैं। अगर किसी देश में गद्दार न हों तो उस देश के नागरिक विपत्ति काल मे राष्ट्रभावना के साथ एकजुट हो जाते हैं।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह “दिनकर” ने क्या खूब लिखा-
छीनता हो स्वत्व कोई और तू त्याग तप से काम ले यह पाप है
पुण्य है विच्छिन्न कर देना उसे बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है।।
युद्ध में अपने राष्ट्र रक्षा के लिए जो जितना भी कर सकता है आत्मप्रेरणा से करे। जंगल मे आग लगी थी सभी पशु पक्षी आग बुझाने में लग गए। एक छोटी सी गौरैया भी नदी से चोंच भर पानी लाती और आग बुझाने की कोशिश करती। कहाँ जंगल की आग और कितना चिड़िया की चोंचभर पानी। अपयश एक कलंक होता है। चिड़िया जानती थी एक दिन सवाल उठेगा कि उस समय तुम कहाँ थी। इस प्रकार के प्रश्न का उत्तर यूक्रेन के किसी शहर की सड़क पर 9 -10 साल की एक बच्ची ने दिया। उसकी शाब्दिक भाषा की आवश्यकता नही पड़ी। वह बच्ची रूसी सैनिक को ललकार रही थी। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे देश मे घुसने की? बताओ? हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा? दूसरी ओर सैनिक भी समझ रहा था कि इस भोली बच्ची को मैं क्या उत्तर दूं। वह अपने दायित्व से बंधा था।मुस्कुरा कर आगे बढ़ गया।
एक तरफ वह बच्ची जो अपने राष्ट्र के गौरव को बचाने के लिए रूसी सैनिक को चुनौती दे रही थी दूसरी ओर हरदोई की एक लड़की जो अपने घर मे (हरदोई जिले में) वीडियो बना रही थी जैसे कि वह यूक्रेन में संकट में फंसी हो कि हमारी कोई सुध नही ले रहा। केवल सरकार को बदनाम करने के लिए। उत्तर प्रदेश पुलिस ने जब तहकीकात की तो लड़की ने बताया उसके पिता जो एक राजनीतिक दल में हैं उन्होंने उसे प्रेरित किया। धन्य है वह लड़की और उसके सम्मानीय पिता। यह भी एक मिसाल है देशभक्ति की! एक दूसरा राष्ट्र प्रेम देखिये- एक छात्रा को जब यूक्रेन से हवाई जहाज से लाकर मुम्बई हवाई अड्डे पर उतारा गया तो उसने बाद में शिकायत मीडिया में दर्ज की कि सरकार ने उसे उसके घर तक पहुंचने की व्यवस्था नही की। जबकि भारत सरकार ने 10 दिन पहले अलर्ट जारी कर दिया था कि भारत के जो स्टूडेंट्स यूक्रेन में हैं वे जल्दी लौट जाएं। तब किसी ने नही सुनी। ऐसे ही लोग कहते हैं सरकार ने क्या किया?
गौरव की बात यह है कि भारत के तिरंगे का जो मान हमें इस दौरान देखने को अभी मिला वह भूतों न भविष्यति है। चार मंत्री चार देशों में कूटनीतिक तरीके से समस्या का हल निकल रहे हैं। विदेशमंत्रालय दिन रात काम कर रहा है। धूर्त लोग इस सब की भी आलोचना ही करेंगे। इन्हें भी पूछना चाहिए हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी?