ऋषिकेश: हिमालय दिवस 2023…वर्ष 2040 की गर्मियों तक आर्कटिक क्षेत्र में हम बर्फ नहीं देख पायेंगे :स्वामी चिदानंद सरस्वती

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  • हिमालय हमारा स्पिरिचुअल लैण्ड है और स्विटरजरलैंड भी, हिमालय है तो गंगा है.हिमालय स्वस्थ तो भारत मस्त-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आज हिमालय दिवस के अवसर पर संदेश दिया कि ‘‘ हिमालय भारतीय संस्कृति का रक्षक है, हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जैव विविधता का अकूत भंडार भी है।

हिमालय केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिये बेहद महत्त्वपूर्ण है। हिमालय हमारा स्पिरिचुअल लैण्ड है और स्विटरजरलैंड भी हैं। नो हिमालय, नो गंगा, हिमालय है तो हम है, हिमालय है तो गंगा है. हिमालय स्वस्थ तो भारत मस्त।स्वामी ने कहा कि दुनिया की किसी भी पर्वत श्रृंखला में समाज को जीवन, साहस और समृद्धि प्रदान करने की शक्ति नहीं है, जितनी हिमालय के पास है। हिमालय ने जनसमुदाय के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। भारत को आकार देने में हिमालय का महत्वपूर्ण योगदान है। हिमालय का संबंध भारत से ही नहीं बल्कि भारत की आत्मा से है। हिमालय भारत की भौतिक समृद्धि, दिव्यता, प्राकृतिक भव्यता, सांस्कृतिक सौंदर्य की एक पवित्र विरासत है जिसने भारतीय मूल्यों को अपने में सहेज कर रखा है। हिमालय लगभग 5 करोड़ से अधिक आबादी को आवास, भोजन और सुरक्षा प्रदान करता है। हिमालय केवल एक पहाड़ नहीं बल्कि भारत का रक्षक है।

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वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन के कारण दुनियाभर में सूखा, अतिवृष्टि, बेमौसम वर्षा, रेगिस्तानों में वर्षा, जलग्रहण क्षेत्रों में कम वर्षा आदि से मानव जीवन तो प्रभावित हो ही रहा है साथ ही वन्य जीवों का विस्थापन, बड़ी संख्या में प्रजातियों का विलोपन और अन्य प्रभाव वातावरण में दिखायी दे रहे हैं परन्तु जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक प्रभाव ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के रूप में देखा जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार दुनिया के दो हिस्सों एशिया और अंटार्कटिका में तापमान में वृद्धि के कारण वहां के ग्लेशियर सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं।अध्ययनों से पता चलता है कि हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार शताब्दी की तुलना में दोगुनी हो गई है। वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार माना कि आने वाले दशकों में दुनिया ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर अंकुश लगा ले, लेकिन दुनिया के शेष ग्लेशियरों का एक तिहाई से अधिक हिस्सा वर्ष 2100 से पहले पिघल जाएगा।

हिमालयी ग्लेशियर, हिमालय पर्वत श्रंखला, अंटार्कटिका और आर्कटिक के बाद दुनिया में बर्फ और हिम का तीसरा सबसे बड़ा भंडार है। दो हजार किलोमीटर का विस्तार लिये और 600 बिलियन टन बर्फ के साथ हिमालय के ग्लेशियर लगभग 800 मिलियन लोगों के लिये सिंचाई, जलविद्युत और पीने के लिये जल के स्रोत हैं। हिमालय के पहाड़ों में स्थित गंगोत्री ग्लेशियर सबसे बड़े ग्लेशियरों में से एक है और गंगा जी का स्रोत भी है। गंगा जी भारत और बांग्लादेश में मीठे जल एवं विद्युत का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की यही रफ्तार बनी रही तो वर्ष 2040 की गर्मियों तक आर्कटिक क्षेत्र में हम बर्फ नहीं देख पायेंगे।

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हिमालय हमें प्राणवायु आक्सीजन, हरित सौन्दर्य, सदानीरा नदियों के साथ ग्लेशियरों की तलछट फसलों के लिये उपजाऊ मृदा प्रदान करता है। ग्लेशियर मीठे जल के सबसे बड़े स्रोत हैं। पृथ्वी और महासागरों के लिये बर्फ एक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करती है। यह अतिरिक्त ऊष्मा को वापस अंतरिक्ष में भेजकर पृथ्वी को ठंडा रखता है। दुनिया में लगभग 1 लाख 98 हजार ग्लेशियर हैं और इनमें से लगभग साढ़े 9 हजार केवल भारत में हैं इसलिये हिमालय का संरक्षण और स्थायित्व और भी आवश्यक है।आईये आज हिमालय दिवस पर संकल्प लें कि हिमालय सहित हमारे अन्य पहाड़ों की रक्षा हेतु सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे तथा पर्वों व त्यौहारों के अवसर पर पौधारोपण अवश्य करेंगे।

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