उत्तराखंड में हेल्थ सर्विस, संसद में सवाल पूछा अजय भट्ट ने,मांगी जानकारी, जानें
नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री व नैनीताल उधम सिंह नगर संसदीय क्षेत्र से सांसद अजय भट्ट ने लोकसभा सत्र के दौरान तारांकित प्रश्न के रूप में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से पूछा कि क्या केंद्र सरकार को उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों की स्थिति बहुत दयनीय है इसके बारे में जानकारी है? इसके अलावा भट्ट ने पूछा कि उत्तराखंड के अस्पतालों में केंद्र सरकार द्वारा किस तरह की योजनाओं व बजट आवंटित किया जा रहा है। जिस पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने जानकारी देते हुए बताया कि जन स्वास्थ्य राज्य का विषय है, इसलिए देश के सभी नागरिकों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों की है। तथापि, यह मंत्रालय सार्वजनिक स्वास्थ्य परिचर्या प्रणाली को सुवृद्ध करने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रो को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
उत्तराखंड में अस्पतालों की स्थिति के संबंध में, राज्य सरकार ने सूचित किया है कि सभी सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाएं भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (आईपीएएस) 2022 के अनुसार प्रदान की जाती हैं, जिसका उद्देश्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना है। उत्तराखंड में स्वास्थ्य अवसंरचना और मानव संसाधन की स्थिति पर विस्तृत जानकारी के लिए, जिला-बार आंकड़े वार्षिक प्रकाशन “हेल्थ डायनेमिक्स ऑफ इंडिया (इन्फ्रास्ट्रक्बर एंड ह्यूमन रिसोर्सेस) 2022-23” में उपलब्ध हैं।एनएचएम मौजूदा उप-स्वास्थ्य केंद्रों (एसएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) को उन्नत करके, उत्तराखंड में 2,355 सहित कुल 1,80,906 आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) के संचालन के माध्यम से स्वास्थ्य अवसंरचना के स्तरोन्नयन का समर्थन करता है। एएएम में प्राथमिक स्वास्थ्य परिचर्या सेवाओं के बारह पैकेज प्रदान करने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं, जिनमें उन्नत अवसंरचना, अतिरिक्त मानव संसाधन, आवश्यक दवाएं और निदान, आईटी सिस्टम आदि शामिल हैं।निःशुल्क निदान सेवा पहल के तहत, भारत सरकार राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रो को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (एसएचसी) में 14 परीक्षणों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में 63 परीक्षणों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में 97 परीक्षणों, उप-जिला अस्पतालों (एसडीएच) में 111 परीक्षणों और जिला अस्पतालों (डीएच) में 134 परीक्षणों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
उत्तराखंड में, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत, वित्तीय वर्ष 2021-22 से वित्तीय वर्ष 2025-26 की अवधि के दौरान अवसंरचना विकास में सहायता के लिए 215.79 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है, जिसमें 5 क्रिटिकल केयर अस्पताल ब्लॉक और 13 एकीकृत जिला जन स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, पंद्रहवें वित्त आयोग ने स्थानीय सरकारों के माध्यम से स्वास्थ्य परिचर्या प्रणाली को मजबूत करने के लिए पांच वर्षों (2021-2026) में 797.09 करोड़ रुपये के अनुदान की सिफारिश की है। आपातकालीन कोविड प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज ।। (ईसीआरपी-II) के तहत, अवसंरचना सहायता के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य को 433.35 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
देश भर के ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में बेहतर सेवा प्रदायगी को प्रोत्साहित करने के लिए चिकित्सा पेशेवरों को प्रोत्साहन और मानधन के रूप में विभिन्न पहलें की गई हैं। ग्रामीण आबादी को समान स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच प्रदान करने के लिए फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम (एफएपी) को एमबीबीएस पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के जिला रेजिडेंसी कार्यक्रम के तहत, चिकित्सा कॉलेजों के दूसरे तीसरे वर्ष के पीजी छात्रों को जिला अस्पतालों में तैनात किया जाता है। ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सेवा प्रदान करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों को दुर्गम क्षेत्र भत्ता दिया जाता है। राज्य, विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिए बातचीत के आधार पर निर्धारित वेतन भी प्रदान करते हैं, जिसमें “आप बताएं, हम भुगतान करें” जैसी रणनीतियों में लचीलापन और कठिन क्षेत्रों में सेवा करने वाले कर्मचारियों के लिए नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अधिमानी प्रवेश जैसे गैर-आर्थिक प्रोत्साहन शामिल हैं।



