हल्द्वानी : अतिक्रमण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई! रेलवे की जमीन पर कब्जा किये हुए 4000 परिवारों को 7 दिनों के अंदर घर खाली करने का आदेश, लोगों ने फैसले का किया स्वागत 

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हल्द्वानी : अतिक्रमण के खिलाफ बड़ी करवाई होने जा रही है हल्द्वानी में. जिसका राज्य के लोगों ने स्वागत किया है. अतिक्रमण ने न केवल लोगों को परेशान किया है बल्कि सरकारें भी योजनाओं को लागू करने में असफल असफल हो जाती हैं. हालाँकि इसके लिए बहुत हद तक पूर्व की सरकारें/सम्बंधित विभाग  नींद में रहे. क्योँकि अतिक्रमण बिन सरकारी शह के हो नहीं सकता है. यही हल्द्वानी में भी हुआ है. रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण होता रहा सरकारें सोई रहीं. वोट बैंक का मसला बना रहा. हल्द्वानी में कोर्ट ने शानदार फैसला दिया है. इसका हल्द्वानी व् अन्य अन्य जिलों के लोगों ने स्वागत किया है. हालाँकि, सम्बंधित मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है और कोर्ट अब पांच जनवरी को सुनवाई करेगा मामले पर.

हल्द्वानी में रेलवे के स्वामित्व वाले क्षेत्र में रह रहे 4,000 से अधिक परिवारों को बेदखली नोटिस दिया गया है. हजारों लोग अपने घरों से बेघर होने के डर की वजह से सड़कों पर उतरकर हंगामा कर रहे हैं. इन परिवारों पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है. हल्द्वानी में इन परिवारों को जमीन खाली करने का नोटिस दिया गया था. दावा किया जा रहा है कि ये परिवार पिछले एक दशक से अनधिकृत कॉलोनियों में रह रहे हैं. उत्तराखंड हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि सभी अवैध निवासियों को 7 दिनों के अंदर परिसर खाली करना होगा.कोर्ट के फैसले पर दर्शन सिंह बिष्ट का कहना है इस तरह अतिक्रमण होना पहली बात गलत है, सरकारी भूमि में ऐसे कब्जे होने लग गए तो क्या होगा ? फिर तो कोई डर होगा ही नहीं. दूसरा कोर्ट और वर्तमान सरकार, प्रशासन के फैसले का हम स्वागत करते हैं. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र में स्थित गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए थे. इसके लिए न्यायालय ने प्रशासन को सप्ताह भर की समयसीमा दी थी. इसी आदेश में कोर्ट ने प्रशासन से वनभूलपुरा क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लाइसेंसी हथियर भी जमा करवाने को कहा था. दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट भी रेलवे की जमीनों पर अतिक्रमण को ले कर चिंता जताते हुए इसे जल्द से जल्द खाली करवाने के आदेश दे चुका है.

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आपको बता दें, नैनीताल जिले में कुल 4,365 अतिक्रमण उस क्षेत्र से हटाए जाएंगे, जो रेलवे से संबंधित जमीन पर अवैध रूप हैं. अदालत के आदेश के तुरंत बाद, क्षेत्र के निवासी फैसले के विरोध में सड़कों पर उतर आए. रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे की जमीन पर अवैध रूप से बनाए गए कई छोटे ढांचों को गिराने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. कब्जाधारियों को परिसर खाली करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है. अगर 7 दिनों के अंदर घर खाली नहीं किया गया तो उसे ढहा दिया जाएगा. हल्द्वानी में जिन परिवारों के घर टूट रहे हैं उन्होंने कहा है कि वे वहां 40 साल से ज्यादा समय से रह रहे हैं. अगर उन्हें अपने घरों से बाहर कर दिया गया तो वे बेघर हो जाएंगे. इस बीच, रेलवे के अधिकारियों द्वारा एक ड्रोन सर्वेक्षण किया गया था, जो कुछ दिनों में अपनी भूमि पर अवैध अतिक्रमण को हटाने की योजना बना रहे हैं. अधिकारियों के मुताबिक, उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे भूमि पर अतिक्रमित क्षेत्र का सीमांकन करने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण किया गया था. रामपुर रोड निवासी नेहा धानिक का कहना है अतिक्रमण के लिए कहीं न कहीं पहले की सरकारें भी जिम्मेदार रहीं हैं. इस तरह से अतिक्रमण करना गलत है. कोई भी सरकारी भूमि पर कैसे कब्ज़ा कर सकता है. फिर अपना घर बताकर सरकार से मांग कर रहा है. ये गलत है. दूसरा इसके लिए पहले के नेता और प्रशासन जो भी रहा हो उसके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए. ताकि लोगों को सबक मिले सरकारी भूमि में अतिक्रमण करना अपराध है करके. रेलवे को भी सख्त से सख्त कदम लेने चाहिए. रेलवे के पास अपनी पुलिस प्रशासन सब कुछ है. ऐसे में सरकार या स्थानीय प्रशासन कहीं न कहीं योजनाओं को लागू नहीं कर पाता. जिन्होंने कब्ज़ा किया हुआ है उन लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल पता है. यह अतिक्रमण हर हालत में हटना चाहिए. हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं.

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