परमार्थ में अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का दूसरा दिन…गौरांग दास प्रभु का दिव्य आगमन योग साधकों के बीच


- एक अद्वितीय आध्यात्मिक यात्रा का शुभारम्भ
- परमार्थ निकेतन में गौरांग दास प्रभु का दिव्य आगमन
- योग, आत्मा का मिलन और मानवता की दिव्य शांति का रहस्य
- ऋषिकेश, योग की वैश्विक राजधानी हैं, जहाँ योग की कुंजियाँ बिना किसी कॉपीराइट के हमारे ऋषियों द्वारा प्रदान की गयी- स्वामी चिदानन्द सरस्वती
- विश्व के 60 देशों के 1200 से अधिक योग जिज्ञासु और 50 देशों के 65 विश्व विख्यात प्रतिष्ठत योगाचार्यों की गरिमामयी उपस्थिति

अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार एमसी योगी ने अपने संगीत से सभी योगियों को आध्यात्मिक उच्चतर दिव्यता की ओर प्रेरित किया, जिससे हर दिल में एक अद्भुत आनंद की लहर दौड़ गई। योग का अनुभव केवल शरीर को ही नहीं, बल्कि हमारे आत्मीय केंद्र को भी अनुभव होता है। संगीतमय योग भावना और विचारों के पार जाने की प्रक्रिया है, जो हमें आपने अस्तित्व से जोड़ता है।स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि ’योग केवल वह नहीं जो हम करते हैं, बल्कि वह है जो हम हैं। योग हर क्षण में हमारे कर्म और विचारों से जुड़ा होता है। ‘योग एक ऐसी साधना है जो हमें न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक और आत्मिक रूप से भी हमारे अन्दर स्थित दिव्यता से जोड़ती है। यह वह विधा है, जो संपूर्ण पृथ्वी पर एकता, अहिंसा, प्रेम और शांति का संचार करती है इसीलिए भारत की प्राचीन योग विद्या का यह संदेश पूरी दुनिया के लिए प्रासंगिक है, क्योंकि आजकल के असंतुलित और भटकाव वाले समय में, योग ही वह माध्यम है जो आत्मा को शांति और संतुलन की ओर ले जाता है इसलिये योग करें, रोज करेें और मौज करें।डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा, आज की दुनिया में हर दिन नए विवाद, संघर्ष और विभाजन के समाचार सुनने को मिलते हैं। अगर हम खुद को पृथ्वी से अलग मानते हैं, तो हम न केवल खुद को, बल्कि पूरी सृष्टि को कष्ट पहुंचाते हैं। योग वह आंतरिक साधना है, जो हमें इस विभाजन से ऊपर उठाकर, परमात्मा से हमारे संबंध को पुनः स्थापित करती है।
गौरांग दास प्रभु ने कहा कि योग का वास्तविक उद्देश्य केवल शारीरिक स्वास्थ्य नहीं है, बल्कि यह आत्मा का परम ब्रह्म से मिलन का एक दिव्य मार्ग है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, योग में न केवल हमारे शरीर की वासनाओं और इच्छाओं को संयमित किया जाता है, बल्कि यह हमें हमारे आंतरिक अस्तित्व और शाश्वत सत्य के साथ जोड़ता है। योग का उद्देश्य हमें हमारे जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने में मदद करना है, इसलिये हमें इसे एक साधना के रूप में, एक पवित्र यात्रा के रूप में स्वीकार करना होगा।भारत ने दुनिया को योग की जो अनमोल धरोहर दी है, वह केवल शारीरिक अभ्यास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण जीवन दर्शन है। यह हमें अपने भीतर के सत्य से साक्षात्कार करने और बाहरी दुनिया से सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता प्रदान करता है। आज की इस भागदौड़ भरी और तनावपूर्ण दुनिया में, जहां हर व्यक्ति मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है, योग ही एकमात्र ऐसा उपाय है जो हमें शांति, संतुलन और उत्तम स्वास्थ्य की ओर मार्गदर्शन करता है।योगाचार्य डॉ. एन. गणेश राव ने कहा, हमारा स्वास्थ्य एक गतिशील प्रक्रिया है। यह व्यक्तिगत चुनावों पर आधारित है। यदि हम योग का अभ्यास करते हैं, तो न केवल हमारा शारीरिक स्वास्थ्य सुधरता है, बल्कि हमारा मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य भी मजबूत होता है। योग, हमें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी पूरी तरह से सशक्त बनाता है।योग केवल एक व्यक्तिगत अभ्यास नहीं है, बल्कि यह सामूहिक मानवता की आवश्यकता बन गया है। जब पूरी दुनिया एकजुट होकर योग के गूढ़ रहस्यों को आत्मसात करती है, तो हम न केवल व्यक्तिगत शांति और संतुलन पा सकते हैं, बल्कि हम दुनिया को एक नए दृष्टिकोण से देखने की शक्ति प्राप्त करते हैं। योग, भारत की प्राचीन विद्या है, जो हमें अपनी आंतरिक यात्रा पर ध्यान केंद्रित करने और ब्रह्मा के साथ पुनः एक होने का मार्ग दिखाती है।योगाचार्य गुरमुख कौर खालसा जो इस महोत्सव के 24 वर्षों से सहभाग कर रही हैं ने कहा, परमार्थ निकेतन में होने वाला अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव केवल एक योग महोत्सव नहीं है, यह दुनिया भर के योग प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अनुभव है, जो आत्मा की गहराइयों में उतरने का अवसर प्रदान करता है।
योगाचार्य स्टीवर्ट गिलक्रिस्ट ने कहा, परमार्थ निकेतन में माँ गंगा के तट पर आकर पूज्य संतों के सान्निध्य में योग करना एक सौभाग्य की बात हैं। योग का असली सार भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में निहित है, जिसे परमार्थ निकेतन गंगा तट पर अनुभव किया जा सकता है। यह आपको न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि आत्मिक उन्नति का मार्ग भी दिखाता है।योगाचार्य एरिका काफमैन ने भी इस महोत्सव को अपनी आत्मा की गहरी यात्रा बताते हुये कहा कि परमार्थ निकेतन आकर हम सब एक स्रोत से जुड़ते हैं और जीवन की सच्चाई से रूबरू होते हैं।विशेष – योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती , योगाचार्य गुरमुख कौर, योगाचार्य गुरुशब्द सिंह, योगाचार्य टॉमी रोसेन, योगाचार्य किया मिलर, योगाचार्य एरिका राचेल कौफमैन, योगाचार्य सियाना शर्मन, योगाचार्य संदीप देसाई, योगाचार्य, आनंद मेहरोत्रा, योगाचार्य इरा त्रिवेदी, योगाचार्य हर हरी सिंह खालसा, योगाचार्य स्टीवर्ट गिलक्रिस्ट, योगाचार्य मारिया अलेजांद्रा अवचारियन, योगाचार्य निकोलस जियाकोमिनी, योगाचार्य आदील पल्खिवाला, योगाचार्य आर्विका गुप्ता, योगाचार्य अक्षय जैन, योगाचार्य अमिश शाह, योगाचार्य एंड्रयू सीली, योगाचार्य अनुराधा रमनोवा, योगाचार्य आयुष गुप्ता, योगाचार्य ब्रैंडन बेज, योगाचार्य दासा दास (आलन अलसिड), योगाचार्य डॉ. एडिसन विक्टर दे मेलो, योगाचार्य डॉ. गणेश राव, योगाचार्य डॉ. कृष्ण पंकज नाराम, योगाचार्य डॉ. विग्नेश देवराज, योगाचार्य डॉ. योगऋषि विश्वकेतु, योगाचार्य गंगा नंदिनी, योगाचार्य हर्षवर्धन सराफ, योगाचार्य जानवी क्लेयर मिसिंघम, योगाचार्य जय हरी सिंह (फ्रांकोइस वालुएट), कृष्णाप्रिया, कुमार बगड़िया, मीराबाई स्टार, राधिका दास, राधिका गुप्ता, रोहिनी मनोहर, रुजुता दिवाकर, सांद्राबार्न्स, शिवा रिया, स्वामी स्वात्मानंद, सुबाह सराफ, रामकुमार, जैक बुश, डॉ. इंदु शर्मा, मिका एला एर्रॉयो (मिका एला मोंटसेरात एर्रॉयो एस्काजेडा), डॉ. पद्मनायनी गधीराजू, मोहन भंडारी, राधिका नागरथ, गायत्री योगाचार्य, योगीराज स्वामी जयंत सरस्वती, हंसा जयदेव, दर्शना, निशि भट्ट और डॉ. आशीष गिलहोत्रा आदि अनेक योगाचार्यो के मार्गदर्शन आयोजित योग महोत्सव।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव, परमार्थ निकेतन में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेलारूस, बेल्जियम, ब्राजील, कनाडा, क्रोएशिया, डेनमार्क, इक्वाडोर, फ्रांस, जर्मनी, घाना, ग्रीस, आइसलैंड, आयरलैंड, इजराइल, इटली, जापान, लेबनान, लिथुआनिया, मेक्सिको, नीदरलैंड्स, न्यूजीलैंड, पेरू, पुर्तगाल, रोमानिया, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, तुर्की, यूक्रेन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, उरुग्वे, नार्वे आदि कई देशों के प्रतिभागियों की गरिमामयी उपस्थिति। विशेष योगाभ्यास में – प्रातः 4ः30 बजे से रात 9ः30 बजे तक होगी, जिसमें प्रमुख रूप से अष्टांग योग, आयंगार योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, गंगा योग, ध्यान, मुद्रा, वैदिक मंत्र, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, रेकी, लीला योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सेमैटिक योग, डीप योग, नाड़ी योग एवं भारतीय दर्शन, डाॅस आफ प्राण, द रूट आफ यम, योग राग, सूर्योदय नाद, श्रीकृष्ण बांसुरी राग, कास्मिक हार्ट संगीत योग की विभिन्न विधायें सम्पन्न हो रही है।