गढ़वाली फिल्म “कारा” एक प्रथा 3 जनवरी से ऋषिकेश के रामा पैलेस में लगेगी, देखना न भूलें इस  शानदार फिल्म को 

कारा का मतलब एक बुराई, एक टैक्स, एक बंधन....

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  • कारा एक प्रथा…..देहरादून ने दिया भरपूर प्यार अब ऋषिकेश का है इन्तजार 
  • 3 जनवरी 2025  से ऋषिकेश के रामा पैलेस में लग रही है फिल्म 
  • शानदार फिल्म….रिव्यूज अभी तक 5 में से 5 मिल रहे हैं, ऐसे में अब  इन्तजार है ऋषिकेश वालों को 
  • गढ़वाली फिल्मों के  अभिनेता रहे सुनील बडोनी ने फिल्म की पठकथा  लिखी है, निर्देशक भी खुद हैं 
  • शिवानी भंडारी, रमेश  रावत, राजेश मालगुडी, साक्षी काला जैसे मझे हुए कलाकार हैं फिल्म में
  • कारा प्रथा से विवाह…करने की प्रथा को स्क्रीन पर दिखाया गया है, जिसे जानना जरूरी है
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ऋषिकेश: (मनोज रौतेला)  “कारा” एक प्रथा…गढ़वाली फिल्म दर्शक ३ जनवरी से ऋषिकेश के रामा पैलेस में देख सकते हैं. फिल्म को काफी तारीफ मिल रही है. यह एक ऑफ बीट फिल्म है. जैसा लेखक, निर्देशक फिल्म के सुनील बडोनी है. जिन्हें 2005 किसी घटना से झकझोर दिया था. उसके बाद वे इस फिल्म के लेखन में लग गए. वे खुद कई गढ़वाली फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं. फिल्म कारा एक प्रथा को उन्होंने लिखा है और निर्देशित किया है. फिल्म में शिवानी भंडारी और राजेश मालगुडी और विजय रावत जैसे मझे हुए कलाकार हैं. ख़ास बात फिल्म की है, इसमें कोई हीरो नहीं है, एक गाना छोड़कर कोई दूसरा गाना भी नहीं है. वह भी गाना बैकग्राउंड में बजता रहता है. कोई विलेन नहीं है और कोई कॉमेडी नहीं है. फिर भी फिल्म हाउस फुल जा रही है और लोग तारीफ कर रहे हैं इसका मतलब फिल्म में जान है. कहानी में गहराई है और निर्देशन में धार है. बुधवार को फिल्म से जुड़े लोगों ने ऋषिकेश प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता की. इस दौरान जानकारी दी गयी फिल्म देहरादून में MOD के बाद ऋषिकेश के रामा पैलेस में लग रही है. फिल्म का टाइम होगा दोपहर २ बजे. फिल्म के निर्देशक सुनील बडोनी के अनुसार, फिल्म 2 घंटा 41 मिनट की ड्यूरेशन की है.इस दौरान दर्शक फिल्म से चिपके रहते हैं. कई तो  कह रहे थे इंटरवल भी क्यों किया ?
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फिल्म “कारा” जिन्होंने देखी देहरादून में, उनमें से कई  लोगों का कहना था, गढ़वाली फिल्म कारा में उत्तराखंड की एक लोक प्रथा को उजागर किया गया है. आपको बता दें, इसके लेखक निर्देशक सुनील बडोनी हैं l परिणीता डोभाल बडोनी द्वारा निर्मित ये फिल्म मॉल ऑफ देहरादून हरिद्वार रोड पर लगी थी. लगातार दो हफ्ते. यह फिल्म लोक प्रथा और सत्य घटना पर आधारित घरेलू हिंसा,  नारी उत्पीड़न के साथ साथ नारी सशक्तिकरण और संस्कार निष्ट नारी शक्ति की अनुपम अनुकृति है. निर्देशन फिल्मांकन वाद संवाद बहुत हृदयग्राही हैं जो दर्शकों को आकर्षित करके भाव विभोर कर देते हैं.फिल्म में सभी कलाकारों का अभिनय भी अति उत्तम है. गीत संगीत भी बहुत मनमोहक है. अपनी लोकसंस्कृति के अनछुए पहलुओं को फिल्म बना कर विधिवत जन सामान्य के सामने रखना भी अति सराहनीय है. ऐसे में देखा जाए तो लेखक ने तो लिख दी.लेकिन उस पर फिल्म बनाकर बहुत बड़ा जोखिम लिया था. ऊपर से महिला प्रधान फिल्म है, आवश्यक फिल्म के तत्वों को दरकिनार कर दर्शकों के सामने परोस दी. फिर भी दर्शक तारीफ कर रहे हैं तो पूरा क्रेडिट फिल्म से जुड़े हर एक ब्यक्ति को जाता है. स्थानीय भाषाओं पर आधारित फिल्म बनाने में “कारा” को एक उम्दा  उदहारण के तौर पर देखा जा सकता है. हम यह कह सकते हैं, विषय को  लेखक और निर्देशक और अभिनेता व अन्य फिल्म से जुड़े लोग न्याय  दिलाने में सफल रहे हैं. प्रेस वार्ता के दौरान,लेखक व निर्देशक  सुनील बडोनी, परिणिति बडोनी, रमेश रावत, शिवानी भंडारी, राजेश मालगुडी, कसुम जोशी, उषा डोभाल, पदम् गुंसाई, राज नेगी आदि लोग उपस्थित रहे.

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