गढ़वाली फिल्म “कारा एक प्रथा” ने एक विलेन भी पैदा कर दिया है उत्तराखंडी फिल्म इंडस्ट्री के लिए….जानें

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रमेश रावत, अभिनेता

ऋषिकेश :(मनोज रौतेला) फिल्म की कहानी में बुराई का चरित्र विलेन कहलाता है.  यह चरित्र किसी ऐतिहासिक कथा या कपोलकल्पना की कृति में हो सकता है.. यहाँ हम बात कर रहे हैं मोना की यानी रमेश रावत की.  सुनील  बडोनी जो लेखक और निर्देशक हैं गढ़वाली फिल्म “कारा एक प्रथा”  के…..उन्हूने जब फिल्म लिखी होगी और फिर फिल्म शूट की होगी उस समय यह सोचा भी नहीं होगा इसमें जो शख्श मोना (रमेश रावत) का रोल निभा रहा है. . वह रोल इतना फेमस हो जायेगा. वाकई रमेश रावत ने इसमें काफी मेहनत की है. सधा हुआ निर्देशन…परफेक्ट डायलोग लोगों को काफी भा रहा है. अभिनय क्या होता है ?  युवा पीढ़ी को यह फिल्म देखनी चाहिए. आजकल फिल्म रामा पैलेस #ऋषिकेश में  लगी हुई है. दिन में २ बजे फिल्म शो चल रहा है. २ घटे ४१ मिनट की फिल्म में काफी शॉट काफी अच्छे हैं. अभिनेत्री  शिवानी भंडारी मंझी हुई कलाकार है. उनकी कई फ़िल्में, एल्बम आ चुकी हैं. लेकिन रमेश रावत का अभिनय फिल्म को अंत तक दर्शकों को बांधे रखने पर  मजबूर करता  है. अक्सर,  इस तरह का अभिनय हिदी फिल्मों में देखने को मिलता है. मुझे लगता है रमेश रावत के लिए यह फिल्म मील का पथ्हर साबित होगी. उनके कैरियर के लिए. वहीँ सुनील बडोनी ने एक प्रभावी स्क्रीन-प्ले राइटर और सधा हुआ निर्देशक के तौर पर अपने आपको सामने रखा है. आने वाले दिनों में यह फिल्म अवार्ड जीत सकती है.

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