पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त, पूर्व मानव संसाधन विकास, राज्य मंत्री (उच्च शिक्षा) और वर्तमान में गुरुकुल कांगरी विश्वविद्यालय के चांसलर सत्यपाल सिंह ने परमार्थ निकेतन, गंगा आरती में किया सहभाग


- अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के अवसर पर भारत के दर्शन और संस्कृति पर हुई चर्चा
- हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा किया भेंट

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, भारत का दर्शन आंतरिक शांति का संदेश देता है, यह जीवन के प्रत्येक पहलू में संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है। भारतीय संस्कृति का आधार उसकी आध्यात्मिकता, सहिष्णुता, और विविधता में एकता है। भारत की सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक परंपराएं हमें जीवन की सच्ची दिशा दिखाती हैं। भारत का दर्शन और जीवन का उद्देश्य आत्म-ज्ञान और समग्रता है। योग, ध्यान और साधना के माध्यम से हम आत्मा के साथ जुड़कर अपने जीवन को उद्देश्यपूर्ण और सकारात्मक बना सकते हैं।साध्वी भगवती सरस्वती ने भारतीय संस्कारों पर बात करते हुए कहा, भारत का दर्शन केवल कर्म से नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धता और सच्चाई के मार्ग से जुड़ा हुआ है। योग और साधना के माध्यम से हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं। यह वही मूल्य हैं जो भारतीय समाज की नींव हैं और जो हमें हर दिन जीने की प्रेरणा देते हैं।सत्यपाल सिंह ने कहा, “योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं है, बल्कि यह जीवन को संतुलित और आत्मनिर्भर बनाने का एक माध्यम है। गंगा जी के तट से इस अद्भुत आयोजन में शामिल होकर यहां से आप सभी एक नयी ऊर्जा को अपने साथ लेकर जाये। पूज्य स्वामी के सान्निध्य में योग व ध्यान की विधाओं को आत्मसात करना अत्यंत सौभाग्य का विषय है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने सत्यपाल सिंह को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।