ऋषिकेश : राजा और रंगली संग जंगल में की 3 दिन सघन गश्त राजाजी के गौहरी रेंज में वन कर्मियों ने


- गौहरी रेंज के वन कर्मियों ने तीन दिन संघ गश्त पूरी की संवेदनशील इलाकों में दोनों पालतू हाथियों में सवार हो कर
- पार्क निदेशक डॉक्टर कोको रोसे के विशेष निर्देश और रेंजर राजेश जोशी और डिप्टी रेंजर रमेश कोठियाल के नेतृत्व में गश्त पूरी हुई
- दोनों पालतू हाथी चीला से आये थे, राजा और रंगली ने वन कर्मियों शानदार गश्त करवा कर अपनी ड्यूटी पूरी की
- मानसून सीजन में यह गश्त अहम होती है, कई जगह रास्ते होते नहीं हैं, जंगल विकट हालत में होता है, वन्य जीवों का खतरा बना रहता है अक्सर, ऐसे में हाथियों की मदद लेनी पड़ती है वन विभाग को

ऋषिकेश : (मनोज रौतेला) राजा जी नेशनल पार्क के अन्दर गौहरी रेंज के वन कर्मियों ने शुक्रवार को तीन दिन रेंज में संवेदनशील इलाकों से संघं गश्त पूरी की. तीन दिन चली यह गश्त की ख़ास बात थी वन कर्मियों संग दो पालतू हाथी. दोनों हाथी जिनके नाम राजा और रंगली है. दोनों चीला रेंज से मंगवाये गए थे गश्त के लिए. पार्क के निदेशक डॉ. कोको रोसे के विशेष निर्देश पर यह गश्त की गयी थी. दोनों हाथियों के मदमस्त चाल और वन कर्मियों की पैनी निगाह के बीच गौहरी रेंज के रेंजर राजेश जोशी और डिप्टी रेंजर रमेश कोठियाल के नेतृत्व में यह महत्वपूर्ण गश्त हुई.

आपको बता दें, गौहरी रेंज का एक कोना ऋषिकेश से लगा हुआ है. ऐसे में मानव-वन्य जीव संघर्ष की अक्सर संभावना बनी रहती है. कब कौन ब्यक्ति या जानवर पार्क के अन्दर घुस जाए या फिर हमला कर दे. इसलिए कुनाव चौड़,दुगड्डा श्रोत और गौहरी घाट इलाके में वन कर्मियों ने लगातार तीन दिन सघन गश्त पूरी की. इस दौरान नेशनल वाणी (हिंदी) से बात करते हुए रेंजर राजेश जोशी और डिप्टी रेंजर रमेश कोठियाल ने जानकारी देते हुए बताया, यह गश्त मानसून में इसलिए ख़ास महत्वपूर्ण होती है, इस समय झाड़ियाँ, जगह जगह श्रोत मिलते हैं. ऐसे में वन्य जीव को कोई नुक्सान न हो यह हमारा उद्देश्य होता है. रास्ते लगभग ख़त्म हो चुके होते हैं. उन पर पैदल गश्त करना मुश्किल होता है. कहीं पर नाले उफान पर होते हैं तो कहीं पर जंगली जानवर का खतरा बना रहता है कब वह पर हमला कर दे. क्यूंकि झाड़ियों में छुपा रहता है. हाथी में गश्त करने से सुगम और सुरक्षित माना जाता है. राजा और रंगली आई और उन्हूने वन कर्मियों ने गश्त करवाई. हमें यह भी देखना होता है कोई शिकारी तो घुस गया पार्क इलाके में. वन्य जीव संरक्षण के साथ वनों को भी सुरक्षित हमारी ड्यूटी है. हम उसमें कोई कोताई नहीं बरत सकते हैं. इस दौरान, वन्य जीवों के मौजूदगी का भी पता चलता है उनके गतिविधियों से,फुट मार्क से इत्यादि. इसके अलावा नए जंगली जानवरों के भी मौजूदगी में पता चलता है. स्पेशल प्रजाति के संरक्षित वन्य जीव, जैसे टाइगर, गुलदार, हाथी व अन्य की क्या मूवमेंट है उस पर भी नजर रखनी होती है हमें. एक तरह से कहा जाए तो हम हमें इस गश्त से सुरक्षा, संरक्षण के साथ साथ हमें रिसर्च, जानकारी के दृष्टि से नजर बनाये रखनी पड़ती है. साथ ही चेकिग करनी पड़ती है गुज्जरों के डेरों को भी. कौन ब्यक्ति नया आया और दृष्टिकोण से भी. इस दौरान डिप्टी रेंजर रमेश कोठियाल संग दीपक, पृथ्वी सिंह, वन दरोगा, निकिता गौतम (महिला कर्मी), गौरव गिरी, मोहित कुमार, सुरजीत, आशीष रावत जैसे वन कर्मियों की टीम गश्त में मौजूद रहे.