वन मंत्री सुबोध उनियाल ने किया Restore, Conserve and Protect Forest and Tree Cover for NDC Implementation in India- RECAP4NDC) महत्वपूर्ण परियोजना का शुभारम्भ

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  • Indo-German Bilateral Cooperation Project “Restore, Conserve and Protect Forest and Tree Cover for NDC Implementation in India” – RECAP4NDC (GIZ-Gmbh) परियोजना की राज्य स्तरीय प्रारम्भिक कार्यशाला का आयोजन-
देहरादून : दिनांक 23 फरवरी 2024 को भारत-जर्मनी बाईलेट्रल कोऑपरेशन के अन्तर्गत वन भू-क्षेत्रों की बहाली (Forest Landscape Restoration-FLR) एवं वनाधारित क्षेत्रों पर निर्भर स्थानीय समुदाय की आजीविका संवर्द्धन के उद्देश्य से प्रारम्भ की गई “वन एवं वृक्ष आच्छादन के पुनर्स्थापन, संरक्षण एवं बचाव हेतु राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के कियान्वयन” हेतु (Restore, Conserve and Protect Forest and Tree Cover for NDC Implementation in India- RECAP4NDC) महत्वपूर्ण परियोजना का शुभारम्भ मुख्य अतिथि वन, भाषा, चुनाव, तकनीकि शिक्षा मंत्री  सुबोध उनियाल द्वारा होटल हयात सैन्ट्रिक, राजपुर रोड, देहरादून में किया गया।
कार्यक्रम में GIZ से  Mohamed El Khawad, Cluster Coordinator, Environment, CC and NRM Portfolio, GIZ India, विशिष्ठ अतिथि के रूप में मौजूद रहे। उनके साथ साथ मंच पर आसीन अन्य अतिथियों में वन विभाग मुखिया  अनूप मलिक,  कुंदन बर्नवाल, RECAP4NDC के डिप्टी लीड सहित उत्तराखण्ड वन विभाग की ओर से  कपिल लाल, ए०पी०सी०सी०एफ० परियोजना जोकि RECAP4NDC परियोजना के नोडल उपस्थित रहे।GIZ, India की ओर से State Advisor, Uttarakhand Aparna Pandey द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया तथा उनकी सहयोगी Dr. Shachi Pandey, Advisor Forestry सहित GIZ के अन्य सलाहकार भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
इसके अतिरिक्त विभाग के अन्य उच्च अधिकारियों में PPPC Van Panchayat Dr. Dhananjai Mohan, PCCF-Wildlife Dr. Samir Sinha, PCCF/Member Secretary Mr. R.K.Mishra, PCCF-Environment Mr. Kapil Joshi, PCCF-Administration Mr. Gupta, CEO Campa-Mr. G.S. Pandey, Addl Secretary Forest Mrs. Kahkasha Naseem, Mr. Yashveer Bhatnagar Country Head IUCN, Dr. Rawat, ICFRE, Mr. Yogesh TERI, Mr. Mundhe FSI उपस्थित रहें।
मंत्री द्वारा परियोजना का राज्य में स्वागत किया गया तथा यह राज्य में अधिक से अधिक वृक्ष आच्छादन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे कार्बन अवशोषण में वृद्धि होगी तथा जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्या से जूझने में सहयोग मिलेगा। परियोजना के तहत 2-2 परिक्षेत्रो का चयन उचित मानकों के आधार पर राज्य के दो प्रमुख क्षेत्र कुमाऊं एवं गढ़वाल से किया जाना प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक – निजि भागेदारी आधारित भारत-जमर्नी / यूरोप के अभिकर्ताओं के सहयोग से FRL पद्धति पर एक अनुबन्ध, समुदाय की सकिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 4-6 सामुदायिक अभियान कार्यक्रमों का आयोजन सुनिश्चित करना भी सम्मिलित है।विशिष्ठ अतिथि द्वारा जानकारी दी गई कि इस परियोजना की अवधि 6 वर्ष है जोकि वर्ष 2023 से वर्ष 2029 तक है। परियोजना द्वारा महाराष्ट्र, गुजरात एवं उत्तराखण्ड राज्यों के साथ दिल्ली राष्ट्रीय कैपिटल रिजन में कियान्वयन किया जाना प्रस्तावित है। इस परियोजना की कियान्वयन अवधि 6 वर्ष (मई 2023 से अप्रैल 2029) रहेगी। परियोजना में सहयोग देने के लिए कुल पांच तकनीकि पार्टनर IUCN-India, Forest Survey of India, ICFRE, TERI, ICIMOD, अलग-अलग घटकों के कियान्वयन के लिए उत्तरदायी रहेंगे। इसके अतिरिक्त GIZ, India मुख्य समन्वयक संस्था होगी तथा पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से चयनित राज्यों के वन विभाग मुख्य कियान्वनय इकाई होने के साथ ही नितिगत निणयों के मुख्य हितभागी भी होंगे। डा0 मोहम्म एल खवाद ने यह आश्वासन दिया कि परियोजना के 6 वर्षों में Forest Landscape Restoration – FLR pilot interventions के माध्यम से जर्मनी व अन्य विकसित देशों में वन परिक्षेत्र की बहाली के लिए जो भी प्रयास किये जा रहे है उनपर तकनीकि समझ विकसित करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों का क्षमतावर्द्धन भी किया जायेगा।अनूप मलिक  द्वारा GIZ से आग्रह किया गया कि परियोजना के तहत कुछ पाइलेट इन्टरवेंशन करे जायें जिससे राज्य को उनपर पुनः कार्य करने का अवसर प्राप्त हो। वन विभाग द्वारा परियोजना को सफलतापूर्वक कियान्वयन करने हेतु हर सम्भव प्रयास किया जायेगा।
कपिल लाल  द्वारा निम्न जानकारी साझा की गई उत्तराखण्ड राज्य उत्तरी भारत में अपनी विविधता, प्राकृतिक संपदाओं एवं कठिन परिक्षेत्रों के समावेश के लिए प्रसिद्ध है। उत्तराखण्ड राज्य वन-सम्पदा, प्रसिद्ध नदियों की समृद्धता, उच्च हिमालयी श्रंखला, घने जंगलों सहित तराई क्षेत्र एवं घाटियों का समायोजन है। अतः RECAP4NDC परियोजना में परिक्षेत्रों के चयन का आधार राज्य की विविधता के दृष्टिगत, सामुदायिक संगठन जैसे वन पंचायतें, एग्रोफॉरेस्ट्री, उच्च हिमालयी बुगियाल, आर्द्रभूमि तथा ग्रामीण-शहरी सीमावर्ती परिक्षेत्र इत्यादि हो सकते है। परियोजना के तहत प्रमुख रूप से 30,000 – 40,000 है0 वन भू-क्षेत्रों की बहाली के लिए 3-5 (Forest Landscape Restoration – FLR) पद्धतियों (approaches) को विकसित कर, 2-3 FLR उपायों (measures) को जनपद, विकास खण्ड एवं ग्राम्य विकास कार्य-योजनाओं में समायोजित किया जाना सम्मिलित है।कुन्दन बर्नवाल द्वारा परियोजना पर एक सूक्ष्म प्रस्तुतिकरण के माध्यम से निम्न जानकारी साझा की गई –
परियोजना के निम्न पांच घटक एवं आउटपुट हैं आउटपुट 1 वन भू-क्षेत्रों की बहाली के मॉडल का कियान्वयन वन भू-क्षेत्रों का पुनर्स्थापन एवं टिकाऊ प्रबन्धन करना। चयनित राज्यों में बहु-हितभागियों जैसे सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों, कृषि वानिकी क्षेत्रों एवं सलाहकारों के सहयोग वन क्षेत्रों से बाहर वृक्षों एवं वनस्पतियों का दीर्घकालिक प्रबन्धन जैसे मॉडल का सफलतापूर्वक कियान्वयन ।
-2 अनुश्रवण, मूल्यांकन एवं प्रतिवेदन सरकार एवं लाभार्थियों के उपयोग के लिए पारिस्थितिकी, वन भू-क्षेत्रों की बहाली, एवं सामाजिक-आर्थिक लाभों के अनुश्रवण, मूल्यांकन एवं प्रतिवेदन के लिए समेकित प्रणाली विकसित । आउटपुट-3 वन भू-क्षेत्रों की बहाली हेतु वित्तीय व्यवस्था – वन भू-क्षेत्रों की बहाली के लिए सार्वजनिक-निजी क्षेत्रों सहित सरकार एवं वाह्य सहायतित परियोजनाओं के माध्यम से वित्तीय व्यवस्था सुनिश्चित । आउटपुट 4 नियोजन एवं निति निर्धारण वन भू-क्षेत्रों की बहाली से सम्बन्धित नये नितिगत निर्णय व दिशा-निर्देशनों का राज्य / केन्द्र सरकार की मौजूदा नितियों एवं नियोजन प्रकियाओं में समायोजन। आउटपुट 5 क्षमता व ज्ञानवर्द्धन, संचार एवं सूचना-प्रसार – मानव संसाधनों का क्षमताबिकास, ज्ञानवर्द्धन, संचार प्रकियाओं का विकास।साथ ही कार्यक्रम के अन्तर्गत दो महत्वपूर्ण पोस्टर का विमोचन वन मंत्री एवं अन्य सम्मानित अतिथियों द्वारा किया गया जिससे कि परियोजना सम्बन्धी जानकारियां वन भू-क्षेत्रों की बहाली से सम्बन्धित जानकारियों की समुदाय, वन विभाग सहित अन्य हितभागियों तक पहुंचे।
1. परियोजना “लोगो” का उत्तराखण्ड राज्य विशिष्ठ स्लोगन का विमोचन परियोजना विशिष्ठ स्लोगन परियोजना के “लोगो” के साथ RECAP4NDC के उद्देश्यों एवं राज्य के परिपेक्ष्य में FLR की अवधारणा को प्रदर्शित करेगा। यह स्लोगन पूरे परियोजना काल में एक सशक्त संचार टूल की भांति कार्य करेगा।
2. वन परिक्षेत्रों की बहाली पर इलस्ट्रेशन / पोस्टर का अनावरण एवं विमोचन इस पोस्टर के माध्यम से “Forest Landscape Restoration-FLR” की प्रक्रिया को बहुत ही सहज तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास किया जायेगा। जिससे बहु-हितभागियों में एक रूप से राज्य के परिपेक्ष्य में वन भू-क्षेत्रों की बहाली की महत्वता पर बेहतर समझ विकसित हो सके।
3. साथ में हितभागियों की समझ के लिए परियोजना लोगो के मतलब सम्बन्धी पोस्ट कार्ड तथा परियोजना की एक हिन्दी एवं अंग्रेज़ी विवरणिका परियोजना उद्देश्यों, घटकों, परिणामों एवं सूचकों को बहु-हितभागियों के समक्ष वितरित किये गये।
कार्यक्रम में लगभग 100 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया जिसमें वन विभाग तथा अन्य रेखीय विभागों जैसे नाबार्ड, ग्राम्य विकास, कृषि, उद्यान सहित अन्य विभागों के अधिकारियों / प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। जिसमें देहरादून स्थित महत्वपूर्ण संस्थानों (FRI, WII, ICFRE, Wadia, USAC, IIRS, UCOST) के निदेशक एवं वैज्ञानिकों द्वारा प्रतिभाग किया गया।कार्यशाला के फलस्वरूप मुख्यतः परियोजना पर समस्त हितभागियों की बेहतर समझ विकसित हुई। परियोजना सम्बन्धी पठन सामग्री का वितरण किया गया।

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