वार्षिक मणिकूट परिक्रमा की तैयारी के लिए बैठक का आयोजन, १० मार्च से यात्रा 12 द्वारों से होकर जायेगी


ऋषिकेश : इस वर्ष आयोजित होने वाली वार्षिक मणिकूट परिक्रमा की तिथि के निर्धारण हेतु मणिकूट परिक्रमा समिति की बैठक का आपोजन जनपद पौड़ी गढ़वाल में गट्टू गाड़ के समीप स्थित आत्म कुटीर में सदगुरू राही बाबा जी के सानिध्य में किया गया।उत्तराखण्ड प्रदेश की इस पौराणिक यात्रा हेतु 10 मार्च 2025 की तिथि निर्धारित की गई। परिक्रमा के संयोजक पूर्व राज्य मन्त्री रमेश उनियाल ने बताया कि हिमालय की मणिकूट पर्वत आदि काल से तपस्या करने वाले ऋषि मुनियों की तपस्थाती रहा है। आलौकिक शक्तियों के संग्रह एवं परमात्मा की प्राप्ति हेतु तपस्वी मणिकूट पर्वत की परिक्रमा करते थे। वर्तमान में गृहस्थ मणिकूट परिकमा सांसारिक लाभ हेतु तथा साधु महात्मा परमात्मा की प्राप्ति हेतु करते है।
मणिकूट परिकमा सुबह 07:00 बजे पाण्डव गुफा नजदीक जिलाधिकारी कैम्प कार्यालय लक्ष्मण झूला से आरम्भ होगी. यह इस परिकमा का प्रथम द्वार है। यह स्थान स्वर्ग आरोहण के समय पाण्डवों की तपस्थली रहा है। सतयुग में देवताओं के गुरू बृहस्पति द्वारा यह स्थान पूजित था। त्रेता युग में लक्ष्मण जी ने इस स्थान पर तपस्या की। द्वापर युग में हनुमान जी की तपोभूमि यह स्थान रहा है। इसकी अतिरिक्त परिक्रमा गात्रा गुरुड़वट्टी, फूलचट्टी, कालीकुण्ड, पीपलकोटी, दिउली, कुशाशील (तैड़ो), विन्धवासनी, गौहरी बैराज, गणेश चौड़, भैरव घाटी नामक 12 द्वारों से होकर जायेगी। सभी 12 द्वारों की विधिवत पूजा की जाती है। प्रत्येक वर्ष भारत के विभिन्न राज्यों एवं विदेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। सभी यात्री अपने-अपने वाहनों से परिक्रमा में भाग लेंगे। समिति द्वारा सभी यात्रियों को निशुल्क जलपान एवं भोजन की व्यवस्था की जायेगी।यात्रा के सुचारू संचालन हेतु प्रशासन का सहयोग भी अपेक्षित है। बैठक में समिति सचिव हितेश रस्तोगी, देवेन्द्र रा० रविशर्मा, समीर दत्ता, गौरव कण्डवाल, सौरभ, आयुषी, ललिता राघव, स्वामी नन्दू बाबा आदि उपस्थित रहे।