ऋषिकेश :गौहरी मांफी में बाढ़ का पानी घुसा…ग्राम प्रधान रोहित नौटियाल भड़के राजा जी पार्क प्रशासन पर, दो दिन से खौफ में ग्रामीण, हालात बदतर ! देखिये ये रिपोर्ट-
राजा जी पार्क प्रोटेक्टेड एरिया बताता है इस क्षेत्र को. अगर उनका एरिया है तो खुद आ कर चैनलाइजेशन करें या सीसी दीवार लगाए : ग्राम प्रधान

वीडियो रिपोर्ट देखिये-
ऋषिकेश : (मनोज रौतेला) जनपद देहरादून जी जहाँ…राजधानी क्षेत्र का रायवाला क्षेत्र में गंगा नदी और सॉन्ग और सुसवा नदियों से घिरा गौहरी मांफी गांव है…एक ऐसा गाँव जो हर वर्ष बाढ़ की मार झेलता है. ग्रामीण मेहनत करते हैं और सड़क, मकान रास्ते बनाते हैं लेकिन अगले वर्ष मानसून आते ही खौफ में जीने को मजबूर हो जाते हैं. जब मटमैला पानी उनके गांव में घुसता है सॉन्ग नदी का. दूसरी तरफ गंगा नदी डराती है.
अलग-अलग समय पर अलग-अलग सरकारें अधिकारियों, मंत्रियों को भेजते हैं गाँव में लेकिन आश्वासन देकर मंच और माइक से ग्रामीणों को शांत करा देते हैं.ग्रामीणों को ऐसी योजनाओं की घुट्टी पिलाते हैं कि ग्रामीण साल भर उसी योजनाओं की घुट्टी पी कर सपने ले रहा होता है. जब पानी घुसता है गाँव में तब ग्रामीण बेचैन हो उठते हैं जैसा आज हो रहा है. आखिर ग्रामीण करें क्या ? उनके सामने बड़ी समस्या है यह. ग्राम प्रधान रोहित नौटियाल का कहना है आज स्थित यह हो गयी है गौहरी माफ़ी गाँव के अंदर फिर पानी घुश गया है. सॉन्ग, सुसवा और गंगा नदी ने इस गाँव को हमेशा नुक्सान पहुँचाया है. अभी जारी है वही नुक्सान बाजी. कुदरत से लड़ना किसी की बस की बात नहीं है लेकिन शासन प्रशासन इंतजाम तो कर ही सकता है. वर्ष में 2 महीने मानसून के छोड़ दिए जाएँ तो बाकी 10 महीने में काम तो हो ही सकता है. लेकिन नियति हो तब न ! योजनाएं आयी तो कभी स्थानीय राजनीती हावी हो जाती है. गाड़ियां घूमने लग जाती हैं फ़ोन खड़कने लग जाते हैं. आरोप प्रत्यारोप शुरू…हिस्सेदारी के लिए ! लेकिन गाँव वहीँ, ग्रामीण वही ठगा महसूस करता है. ऐसे में सरकारें, गाँव और संस्कृति को बचाने की बात करते हैं लेकिन इस तरह से काम होगा तो चुनौती मिलना लाजमी है सरकार की उस सोच को.
गौहरी मांफी के ग्राम प्रधान पानी आने के बाद भड़के हुए हैं. उनका भड़कना लाजमी भी है. उनके गाँव को बचाने की जिम्मेदारी उनकी भी है. ऐसे में उनका साफ़ साफ़ कहना है या कहिये आरोप लगा रहे हैं राजा जी पार्क प्रशासन पर. उनका कहना है एक काम नहीं होने दिया राजा जी पार्क प्रशासन ने. नौटियाल ने बताया उनकी जानकारी में है, लगभग 15 करोड़ सिंचाई विभाग द्वारा जारी किये हुए हैं लेकिन पार्क प्रशासन काम करने की अनुमति नहीं दे रहा है. पत्राचार, बात, मुलाकात सब हो गयी. अधिकारी, मंत्री सब जगह. लेकिन अनुमति नहीं मिली काम करने कि. वो पैसा धरता पर उतर नहीं पाया. रोहित नौटियाल का कहना है, ऐसा दंश हम कब तक झेलते रहेंगे ? नौटियाल ने आरोप लगाया, चाहे वे वन मंत्री, डीएम या राजा जी नेशनल पार्क के अधिकारियों हो सभी को को जानकारी दी गयी थी लेकिन काम की अनुमति नहीं मिली. कुछ मकानों के अंदर गाँव में अब पानी घुस गया है. उनका कहना यदि 15 करोड़ का काम यहाँ होने दिया जाता आज यह स्थित नहीं होती. नौटियाल बताते हैं, राजा जी पार्क प्रोटेक्टेड एरिया बताता है इस क्षेत्र को. अगर उनका एरिया है तो खुद आ कर चैनलाइजेशन करें या सीसी दीवार लगाए. आते क्योँ नहीं? हम कुछ करवाए तो खड़े हो जाते हैं हमारा क्षेत्र है ऐसे नहीं कर सकते वैसा नहीं सकते…गाँव के कई सेंसिटिव पॉइंट हैं जहाँ से पानी घुस गया है. गाँव में पिछले दो दिनों से लोग सो नहीं पाए हैं.
रोहित नौटियाल ने बताया मौसम विभाग के अलर्ट के अनुसार अगले तेन चार दिन और अलर्ट है. ऐसे में सॉन्ग, गंगा नदी सुसवा का पानी बढ़ता जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया, एक भी काम नहीं होने दिया राजा जी नेशनल पार्क के अधिकारियों ने यहाँ पर. आज हम बाढ़ के बीच में फंसे हुए हैं. हम जाएँ तो जाएँ कहाँ ?
दुर्भाग्य से दो रूप हैं गाँव के-
जब बाढ़ का टाइम नहीं होता है. तब लोग यहाँ आते हैं. फोटो खिंचवाने, सेल्फी लेते हैं, घूमने आते हैं…मुंह से उनके वाव….सुन्दर, क्या सीन है, सुन्दर जगह जैसे अल्फाज निकलते हैं. और अपने साथ स्मृतियाँ मन में और मोबाइल/कैमरे में कैद कर ले जाते हैं और जब मानसून आता है दो महीने तो सारी स्मृतियाँ सॉन्ग, गंगा और सुसवा नदी में बाह जाती हैं.मंजर खतरनाक. ग्रामीणों को अपनी जान माल की चिंता सताने लगती है. ऐसे में गाँव की कई एकड़ जमीन गंगा नदी में पहले ही बह चुकी है. जहाँ गाँव वाले खेती, खेलते थे वहां पर आज गंगा नदी बह रही है. लेकिन सुने कौन ? फिर भी सरकारें, अधिकारी, मंत्री सुध नहीं लेते हैं. उनके दौरे ख़त्म नहीं होते हैं. परिणाम वही शिफर. अगर गंभीरता से इस गाँव के बारे में नहीं सोचा गया तो आने वाला समय गौहरी मांफी गाँव के अस्तित्व पर सवाल लग सकता है.