ऋषिकेश : श्री भरत मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर पावन प्रसंग में वामन अवतार के प्रसंग पर विस्तृत चर्चा की गयी

भगवान के मत्स्य अवतार, सुकन्या, धरती पर मां भागीरथी गंगा को अपने तप से लाने वाले भगीरथ, भगवान राम अवतार प्रसंगों के साथ कृष्ण जन्म की कथा सुनाई

ख़बर शेयर करें -

ऋषिकेश : पतित पावनी जान्हवी गंगा के तट पर स्थित भगवान भरत जी के पावन प्रांगण में ब्रह्मलीन पूज्य महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी महाराज की पुण्य स्मृति मे आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर व्यास पीठ पर विराजमान अंतर्राष्ट्रीय पूज्य संत डा राम कमल दास वेदांती जी ने पावन प्रसंग मे वामन अवतार के प्रसंग पर विस्तृत चर्चा करते हुए लीला पुरुषोत्तम भगवान के अनेक अवतारों का वर्णन करते हुए भगवान के मत्स्य अवतार, सुकन्या, धरती पर मां भागीरथी गंगा को अपने तप से लाने वाले भगीरथ, भगवान राम अवतार प्रसंगों के साथ कृष्ण जन्म की कथा सुनाई.

श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस के प्रसंग का वृतांत सुनाते हुए बताया कि वामन अवतार में जहां भक्त के धैर्य का परिचय का संदेश है वहीं समर्पण भाव की पवित्रता भी है। कथा व्यास पूज्य वेदांती जी महाराज ने कथा का वाचन करते हुए कहा कि भगवान भक्तों के वश में हैं। भगवान हमेशा अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब जब धरती पर पाप अनाचार बढ़ता है, तब.तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं। उन्होंने कहा कि जब कंस के पापों का घड़ा भर गया तब भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेकर कंस का अंत किया और लोगों को पापी राजा से मुक्ति दिलाई। कथा के दौरान कथा व्यास ने अनेक भक्तिपूर्ण भजन प्रस्तुत किए। जिनमें नंद घर जन्में कन्हैया कान्हा अब तो ले लो अवतार बृज में में तो नंद भवन में जाऊंगी, यशोदा जायो ललना, श्याम तेरी वंशी पुकारे राधा राम भजनों को सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो हो गए। पूज्य महाराज ने कहा आज व्यक्ति मोह माया के चक्कर में फंसकर अनीति पूर्ण तरीके से पैसा कमाने में जुटा है। जिसका परिणाम अंतत उसे भोगना पड़ता है। मानव मानव की तरह नहीं जी रहा है। श्रीमद् भागवत जीवन जीने और मरने की कलां सिखाती है। उन्होंने बताया कि कलयुग में दुख के तीन कारण हैं, समय, कर्म और स्वभाव। उन्होंने कहा कि स्वभाव से जो दुखी है वो कभी सुखी नहीं हो सकता। जिस घर में अनीति से धन कमाया जाता है उस परिवार में कभी एकता नहीं रहती। वहां हमेशा बैर बना रहता है।

ALSO READ:  ऋषिकेश निवासी वरिष्ठ रंगकर्मी श्रीश डोभाल को उनके थियेटर में अमूल्य योगदान के लिए "बलराज साहनी नेशनल अवार्ड "से नवाजा जाएगा

पंचम दिवस की पावन पवित्र कथा मे श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य जी, हर्ष वर्धन शर्मा,वरुण शर्मा , उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ,भागवत कथा में उपस्थित हुए विनय उनियाल व कथा का मुख्य आकर्षण कृष्ण जन्म रहा जिसमें वासुदेव की भूमिका महंत रवि शास्त्री जी ने निभाई

Related Articles

हिन्दी English