असम : गुरुजी अवधूता परमहंस स्वामी समर्पणानंद सरस्वती का कामाख्या मंदिर में दिव्य आगमन; कन्या पूजन, विशेष आशीर्वाद और स्त्री-शक्ति सम्मान का संदेश

- गुरु जी का आश्रम ऋषिकेश के पास तपोवन में है
- देश विदेश से पहुँचते हैं योग साधक, तपस्या के लिए आश्रम
- संयुक्त राष्ट्र में भी था स्वामी जी का संबोधन इस वर्षं
- स्वामी जी यूरोप यात्रा से कुछ समय लौटे हैं भारत
कामख्या / असम : #गुरुजी #अवधूता #परमहंस #श्री #स्वामी #समर्पणानंद #सरस्वती का #कामाख्या #मंदिर में दिव्य आगमन हुआ. इस अवसर पर कन्या पूजन कर विशेष आशीर्वाद और स्त्री-शक्ति सम्मान का संदेश दिया गया. #असम के नीलांचल पर्वत पर स्थित कामाख्या माँ #मंदिर #भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है और तांत्रिक साधना का वैश्विक केंद्र है। इसी पवित्र स्थल पर आज #ऋषिकेश के पास #तपोवान वासी गुरुजी अवधूता परमहंस श्री स्वामी समर्पणानंद सरस्वती का शुभ आगमन भक्तों के लिए एक विशेष आध्यात्मिक अवसर लेकर आया।गुरुजी के मंदिर परिसर में पहुँचते ही पारंपरिक वाद्ययंत्रों की ध्वनि गूँज उठी और वातावरण “जय मां कामाख्या” के जयघोष से भक्ति-रस से भर गया। गुरुजी ने गर्भगृह में प्रवेश कर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और मां कामाख्या से विश्वकल्याण की प्रार्थना की।गुरुजी के साथ प्रोफेसर अनामिका देवी, फ्रांस से आए अध्यात्म-प्रेमी मार्टिन विश्वनाथ, तथा देश-विदेश से जुड़े अनेक शिष्य उपस्थित रहे। गुरुजी ने मंदिर के पुजारियों और स्थानीय व्यवस्थाओं की प्रशंसा करते हुए कहा-“कामाख्या सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि शक्ति का शाश्वत स्रोत है।”

इस अवसर पर गुरुजी का विशेष संदेश –
मीडिया और उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए गुरुजी ने कहा-“भारत की आध्यात्मिक शक्ति तभी पूर्ण होती है जब हम स्त्री-ऊर्जा को समझें, उसका सम्मान करें और उसे जीवन में उतारें। कामाख्या माँ का आशीर्वाद साधक को संतुलन, साहस और करुणा प्रदान करता है।”उन्होंने आगे कहा—“संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए युवाओं में जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है। यदि युवा पीढ़ी देवी-शक्ति के सम्मान को जीवन का हिस्सा बनाएगी, तो समाज में अपराध, हिंसा और नकारात्मकता स्वतः कम हो जाएगी।”

कन्या पूजन का महत्व-
पूजन के बाद गुरुजी ने छोटी बालिकाओं के चरण धोकर उन्हें देवी का रूप माना और उपहार प्रदान किए।गुरुजी ने कहा—“कन्या पूजन स्त्री-शक्ति के प्रति हमारी श्रद्धा का प्रतीक है। जब हम बालिका का सम्मान करते हैं, हम भविष्य के समाज का सम्मान करते हैं।”भक्तों ने कहा कि गुरुजी का यह आगमन मंदिर में एक विशिष्ट ऊर्जा लेकर आया और इसे “दुर्लभ तथा अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव” बताया।
स्वच्छता व प्रबंधन पर गुरुजी की अपील–
गुरुजी ने मंदिर परिसर की व्यवस्थाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा—“कामाख्या जैसे महान आध्यात्मिक केंद्रों पर स्वच्छता और भक्तों के लिए व्यवस्थित सुविधाएँ बहुत आवश्यक हैं। तीर्थ स्थल केवल पूजा के स्थान नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक हैं।”उन्होंने प्रशासन और प्रबंध समिति को सलाह दी कि दर्शन व्यवस्था, जल-सुविधा, सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए।
वैश्विक आध्यात्मिकता पर गुरुजी का दृष्टिकोण
गुरुजी ने कहा कि आज विश्वभर में भारतीय अध्यात्म, विशेषकर देवी-उपासना, के प्रति सम्मान बढ़ रहा है।उनके अनुसार—“भारत की शक्ति परंपरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि वैश्विक संतुलन की कुंजी है। स्त्री-ऊर्जा का सम्मान समाज को अधिक शांत, स्थिर और दयालु बनाता है।”गुरुजी के विचारों और संदेशों ने उपस्थित भक्तों को गहराई से प्रभावित किया और सभी ने इसे समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में प्रेरणादायक बताया।



