सतगुरू की शिक्षाओं को अपनाकर ही भक्ति को प्राप्त किया जा सकता है : नरेन्द्र सिंह मामा
- सतगुरु की शिक्षाओं को अपनाना ही भक्ति है : मामा
ऋषिकेश : संत निरंकारी सत्संग भवन ऋषिकेश में दिल्ली से आए आदरणीय नरेंद्र सिंह मामा (वाइस चेयरमैन, सी पी ए बी, संत निरंकारी मंडल) ने गुरूवार को अपने विचारों में फरमाया कि सतगुरू की शिक्षाओं को अपनाकर ही भक्ति को प्राप्त किया जा सकता है। जिन भक्तों ने सतगुरु के वचन को जीवन में धारण किया उनका जीवन सहज, सरल और सुंदर बन जाता है। भक्त के जीवन का सर्वोत्तम गुण भक्ति है क्योंकि भक्ति बहुत ऊंची अवस्था होती है।उन्होंने निरंकारी राजमाता के जीवन का उल्लेख करते हुए सेवा और भक्ति के मर्म को समझाया कि जिसने भी जीवन में सतगुरू के वचन को मानकर सत्संग, सेवा, सुमिरन को अपना लिया उनको प्रेम, नम्रता सहनशीलता जैसे अनेक गुण जीवन में स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं। इन्हीं गुणों से मानव का जीवन सुखद हो जाता है। परमात्मा के एहसास में रहना ही भक्ति है। भक्त और भगवान का नाता ब्रह्मज्ञान से जुड़ जाता है। फिर भक्त को सुख-दुख का कोई प्रभाव नहीं पड़ता वह हर समय आनंद और सुकून का जीवन जीते हुए भक्ति की अवस्था को प्राप्त करता है।
सत्संग के मध्य संत निरंकारी मंडल के प्रचार विभाग की मेंबर इंचार्ज बहन राजकुमारी ने अपने विचारों में कहा की परमात्मा के एहसास में जितना अधिक हम रहेंगे उतना ही अधिक मानवीय गुण हमारे जीवन में आते रहेंगे और हमारा मन भक्ति की ओर अग्रसर होगा। जब हमें इस सत्य का ज्ञान हो जाता है तो फिर जीवन कैसा भी हो, कोई भी स्थिति हो, आनंद की अवस्था में ही हमारा जीवन व्यतीत होता है।