रायवाला: केवट लीला, दशरथ मरण एवं भरत मिलाप देख भावुक हुए श्रद्धालु

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रायवाला :  प्राथमिक विद्यालय, श्री रामलीला चौक वार्ड नंबर 06 प्रतीत नगर गांव रायवाला में लोक कल्याण समिति के तत्वावधान में आयोजित हो रही चतुर्थ श्री रामलीला महोत्सव में आज के दिन मुख्य 05 मुख्य दृश्य प्रदर्शित किए गए जिसमें-
पहला दृश्य – केवट लीला
दूसरा दृश्य – सीता व्याकुलता
तीसरा दृश्य – सुमन्त वापसी
चौथा दृश्य  – दशरथ मरण
पांचवा दृश्य – भरत मिलाप
रामलीला महोत्सव के मुख्य मंच उद्घोषक एवं लोक कल्याण समिति के प्रवक्ता  विरेन्द्र नौटियाल (वीरू) ने जानकारी देते हुए बताया की शुक्रवार की लीला में भगवान श्री राम, सीता व भाई लक्ष्मण के साथ वन में प्रस्थान करते हैं । उनकी मुलाकात राजा निषादराज से होती है । तब भगवान राम निषादराज से गंगा पार कराने के लिए कहते हैं व केवट को बुलाते हैं । लेकिन केवट भगवान राम को गंगा पार कराने से इनकार कर देता है । केवट कहता है, कि आपके चरण छूने से पत्थर की शिला नारी बन गई । ऐसे में मेरी नाव में आपके चरण पड़ने से न जाने क्या होगा ?  केवट भगवान राम के सामने शर्त रखता है का नाव में बैठने से पहले पांव पखारने होंगे । इसपर भगवान केवट से उनके चरण धोने के लिए बोलते हैं। इसके बाद केवट सभी को गंगा पार उतार देते हैं । प्रभु श्रीराम के वापस न लौटने पर महाराज दशरथ व्याकुल एवं दुखी होकर श्रीराम के वियोग में प्राण त्याग देते हैं । वहीं भरत जी जब ननिहाल से वापस आते हैं तो उनको भगवान राम के वनवास जाने व पिता की मृत्यु का समाचार सुनते हैं । भरत जी माता केकई से इन सब अनहोनियों का कारण पूछते हैं, तब माता कैकई बताती हैं कि मंथरा की सहमति से उन्होंने राजा से अपने दो वरदान मांग लिए, इससे दुखी होकर राजा ने प्राण त्याग दिए। यह सब सुनकर भरत माता  कैकई   पर बहुत ही क्रोधित होते हैं और उनका त्याग कर देते हैं । माता कौशल्या से केकई गलती की क्षमा मांगते हैं और भैया राम को वापस लाने का प्रण करते हैं । उधर, नौनिहाल में भरत-शत्रुघ्न को सूचना देकर बुलाया जाता है। अयोध्या में भरत को रानी कैकेई से सारा वृतांत सुनते हैं। जिसके बाद भरत श्री राम को अयोध्या वापस लाए जाने के लिए गुरु वशिष्ठ से विचार विमर्श किया जाता है। भरत-शत्रुघ्न गुरु वशिष्ठ के साथ चित्रकूट पहुंचते हैं। श्री राम व भरत गले मिलते हैं, और सारा वृतांत श्रीराम को बताया जाता है। भरत श्री राम को अयोध्या पहुंचने के लिए आग्रह किया जाता है। श्रीराम पिता के वचनों के खातिर अयोध्या जाने से मना कर देते हैं । भरत श्री राम की खड़ाऊ सिर पर रखकर अयोध्या की ओर रवाना होते हैं।
श्रीराम के पात्र – सौरभ चमोली  , सीता- नितीश सेमवाल, लक्ष्मण – जयंत गोस्वामी, भरत- विजय शर्मा, शत्रुघन- सन्नि, दशरथ- राम सिंह, कौशल्य- नरेन्द्र रावत , सुमित्रा- अरविन्द कैंतुरा, कैकई- राहुल प्यारे, मंथरा- आयुष जोशी , सुमंत- सचिन गौड़ , गुरु वशिष्ठ – भगत सिंह , केवट- त्रिलोक सिंह, उत्तम सिंह, केवट के बच्चे- ऋषभ , सृष्टि, निषादराज- सन्नि, नृतिकी- अमन थापा आदि ने सुंदर अभिनय किया ।
सुंदर भव्य मंचन देखने के लिए आए दिनेश कुमार शर्मा खाद्य आपूर्ति अधिकारी रुड़की एवं जिला अध्यक्ष  खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति संघ हरिद्वार , डॉ राजे सिंह नेगी अध्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय गढ़वाल महासभा , डॉ सत्यनारायण शर्मा महामंत्री सुप्रयास कल्याण समिति , देवेंद्र सेमवाल ग्राम प्रधान प्रतिनिधि गौहरीमाफी , बनखंडी महादेव कीर्तन मंडली एवं विंध्यवासिनी कीर्तन मंडली को लोक कल्याण समिति द्वारा राम दरबार की माला एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया । साथ ही साथ आए हुए अतिथियों सहित सैकड़ों राम भक्तों ने मंचन को देखा और कलाकारों का उत्साहवर्धन किया ।
इस दौरान लोक कल्याण समिति के अध्यक्ष – गंगाधर गौड़, उपाध्यक्ष- बालेन्द्र सिंह नेगी, सचिव – नरेश थपलियाल, कोषाध्यक्ष – मुकेश तिवाड़ी, प्रवक्ता विरेन्द्र नौटियाल (वीरु), मुख्य निर्देशक महेन्द्र सिंह राणा,  महिला कल्याण सचिव- अंजु बड़ोला, सदस्य- नवीन चमोली , आशीष सेमवाल , योगेन्द्र, सिकन्दर, जगदीश सेमवाल,  प्रिंस , यश मिश्रा , अरविन्द, ऋषभ , मोहन थापा ,  राजू कुमार, अंश , अरविन्द , सूरज , समर , आयुष , प्रियंशु सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे ।

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