देवबंद : दारुल उलूम देवबंद ने कहा सऊदी अरब में 10 रकात नमाज-ए-तरावीह पढ़ाना गलत…20 रकात ही पढाएं
देवबंद :- दुनियाभर के मुस्लिमों की आस्था का केन्द्र सऊदी अरब में स्थित पवित्र स्थान हरम शरीफ में जमात से 20 रकात नमाज-ए-तरावी अदा कराएं जाने बजाये 10 रकात नमाज -ए- तरावी अदा कराएं जाने पर इस्लामिक शिक्षा का केन्द्र दारूल उलूम देवबंद नाराजगी जाहीर करते हुए सऊदी अरब सरकार से तुरन्त पहले की तरह 20 रकात नमाज -ए-तरावी पढाएं जाने की मांग की. कोविड के चलते पिछले दो सालों में सऊदी अरब के पवित्र स्थानों पर नमाज ए तरावीह की रकातें 20 से कम पढ़ी जा रही थी, इस बार भी हरमेन शरीफ सहित कई स्थानों पर 20 के बजाय 10 रकात नमाज ए तरावीह जमात से पढ़ाई जाने की खबरें लगातार सोशल मीडिया पर चल रही है, पिछले तीन दिनों से लगातार इस तरह की खबरें सामने आने के बाद लोगों ने दारुल उलूम देवबंद सहित उलेमा से इस संबंध में संपर्क किया, जिस के बाद अब दारुल उलूम देवबंद की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद ने कोरोना महामारी के चलते सऊदी सरकार द्वारा उठाए गए इस तरह के कदमों पर उस समय (यानी 21 अप्रैल 2021) को भी पत्र लिखकर एतराज जताया था लेकिन अब तो पूरी दुनिया में पूरे तरीके से कोविड गाइडलाइन खत्म हो गई है और सऊदी अरब सरकार ने सभी तरह की पाबंदियां हटा दी है ऐसे में नमाज ए तरावीह की 20 रकात में कटौती करना सरासर गलत है, हम सऊदी सरकार से मांग करते हैं कि फौरी तौर पर 20 रकात सुन्नते तारावीह जमात से अदा कराए जाने का आदेश जारी करे।
मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने कहा कि मक्का और मदीना दुनियाभर के मुसलमानों की आस्था का केंद्र है, इसलिए सऊदी अरब को सभी मुसलमानों की आस्था और उनके अधिकारों का ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि सऊदी सरकार के इस कदम और हरम शरीफ़ में 10 रकात नमाज ए तरावीह पढ़ाए जाने से भारत सहित पूरी दुनिया के मुसलमानों में रोष पाया जा रहा है।उन्होंने ने दुनियाभर के इस्लामीक व सामाजिक संगठनों से मांग की है कि वह सऊदी सरकार के इस कदम पर एतराज जताते हुए उसके दूतावासों के सामने शांतिपूर्वक ढंग से प्रदर्शन करके सऊदी अरब सरकार को ज्ञापन भेजकर आपत्ति जताएं।