दिल्ली : हरीश रावत के चुनाव लड़ने पर फंसा पेंच ! आज हो सकती है CEC बैठक,  हो सकता है फैसला

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दिल्ली : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राज्य में सर्वोच्च चेहरा हरीश रावत के चुनाव लड़ने के मामले में पेंच अभी फंसा हुआ है ! सूत्रों की मानें तो राज्य की कांग्रेस उनके मामले में रिस्क लेने में बिलकुल भी तैयार नहीं है. उनको रामनगर से चुनाव लड़ाया जा सकता है लेकिन वाहन पर कांग्रेस नेताओं को आशंका है कहीं भीतरघात न हो जाये. वैसे भी पिछले चुनाव हरीश रावत दो जगह से चनाव हार चुके थे. फिलहाल टिकट बंटवारे की बात करें तो भाजपा फ्रंट फुट पर खेल रही है.

कांग्रेस ने 53 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की है अभी तक. बाकी 17 सीटों पर जद्दोजहद जारी है. मामला अब हाइकमाण्ड के दहलीज तक पहुँच गया है. फैसला सोनिया गाँधी को करना है क्या हरीश रावत चुनाव लड़ेंगे या नहीं. वहीँ हरक सिंह रावत का भी नाम पहली लिस्ट में नहीं था. उनकी पुत्रबहु का भी नाम पहली लिस्ट में नहीं था. ऐसे में उन्होंने अपनी बहु अनुकृति के लिए टिकट मांगा है. उस पर भी आज फैसला हो सकता है. सबकी निगाहें अब आज की होने वाली CEC बैठक पर टिकी हैं. वहीँ डोईवाला और ऋषिकेश,नरेंद्र नगर जैसी सीटें पर भी होल्ड पर हैं. जो सीटें अभी घोषित होनी हैं उनमें सबकी साँसे रुकी हुई हैं. क्योँकि दावेदार काफी मजबूत हैं और प्रभावी भी हैं. इन्ही सीटों से सरकार बनने न बनने का भी तय होगा.

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अब जो बची हुई हैं 17 सीटों के लिए CEC की बैठक होनी है. इन क्षेत्र के जनप्रतिनिधि दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. इस बैठक में हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी रहेंगे मौजूद. एक पक्ष यह भी है हरीश रावत को चुनाव लड़ाने के बजाय चुनाव संचालन किया जाए. क्योँकि फिर चुनाव में समय नहीं दे पाएंगे. खुद के लिए करेंगे या फिर पार्टी के लिए. ऐसे में मामला फंस सकता है. वहीँ कांग्रेस अब इन 17 सीटों के लिए फंक फंक कदम रख रही है. यह सभी जानते हैं अभी तक जो टिकटें घोषित हुई हैं उनमें हरीश रावत गुट का बर्चस्व देखने को मिला है. बाकी, कांग्रेस को अपनी गुटबाजी और जीतने वाले प्रत्याशी पर भी फोकस करना है. यह तय है जितना देर करेंगे उतना पार्टी को नुक्सान हो सकता है. लोहा गर्म हो तो हथौड़ा मारने में देर नहीं करनी चाहिए. वैसे ही सर्दी का मौसम है मामला ठंडा होने में देर नहीं लगेगी. जनता तो वैसे भी कोरोना और ठण्ड की वजह से शांत बैठी है घरों में. दूसरी तरफ अब प्रीतम सिंह, प्रभारी देवेंद्र यादव कितना असर डाल पाते हैं यह आज या कल में साफ़ हो जायेगा.

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