देहरादून : आपस में ना उलझे बेरोजगार और उपनलकर्मी : शिव प्रसाद सेमवाल

देहरादून : राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने आज देहरादून प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहा कि बेरोजगारों और उपनल कर्मियों को आपस में उलझने की बजाय अपनी मांग को सरकार के सामने मुखरता से रखना चाहिए।शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि उन साजिशों से सतर्क रहने की आवश्यकता है जो बेरोजगारों को और उपनल कर्मियों को आपस में उलझाना चाहती है।उन्होंने कहा कि जिन पदों पर उपनल कर्मी तैनात हैं, उसके अलावा भी विभागों में सैकड़ों अन्य पद रिक्त हैं लेकिन सरकार उन पर भर्तियां निकालने के लिए अध्याचन नहीं भेज रही है जबकि राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी लगातार रिक्त पदों को भरने की मांग कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार को रोस्टर बनाकर सेवा में लगातार 10 साल पूरे करने वाले कार्मिकों को नियमित कर देना चाहिए और उससे पहले सभी को समान कार्य समान वेतन लागू कर दिया जाना चाहिए। ऐसा न करके सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अपमान ना कर रही है। शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि उपनल कर्मियों का मुद्दा सिर्फ राज्य का नहीं, बल्कि देशभर में आउटसोर्सिंग, संविदा और अस्थायी कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा हुआ है। सेमवाल ने कहा कि“देश में लाखों संविदा और आउटसोर्स कर्मचारी सरकारी व्यवस्थाएँ चलाते हैं।स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा, आपदा प्रबंधन से लेकर प्रशासन—हर जगह इन्हीं पर सिस्टम खड़ा है।उत्तराखंड में उपनल कर्मी पिछले 10–15 सालों से इन्हीं महत्वपूर्ण भूमिकाओं में काम कर रहे हैं।परंतु, विडंबना देखिए—राज्य को खड़ा करने वाले इन्हीं लोगों को स्थायित्व और नियमितीकरण तक नहीं दिया.“आज हजारों उपनलकर्मी सड़क पर हैं।यह सिर्फ एक धरना नहीं यह उस मेहनतकश वर्ग का दर्द है,जिसने राज्य को संभाला, पर बदले में असुरक्षा मिली, अन्याय मिला और राजनीति मिली।
“सच यह है कि कर्मियों के नाम पर
हर सरकार—चाहे वह किसी भी पार्टी की रही हो
ने केवल राजनीतिक वादे किए।
कमेटियाँ बनीं, रिपोर्टें दबीं, फाइलें घूमीं—
लेकिन न्याय कभी जमीन पर नहीं उतरा।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने आक्रोश जताया कि
अदालतें बार-बार कह चुकी हैं कि समान काम, समान वेतन और सेवा स्थिरता संवैधानिक अधिकार है। कई मामलों में उपनल कर्मी सर्वोच्च न्यायालय तक जीत चुके हैं। इसके बावजूद भी नियमितीकरण पर ठोस कदम न उठाना
श्रमिकों के साथ दोहरी नीति जैसा है।”
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस नर्सिंग भर्ती को बहाल किया गया,
वह इसलिए बहाल हुई क्योंकि
दशकों से आउटसोर्सिंग में सेवा दे रहे नर्सिंग स्टाफ के अनुभव को ‘मान्य’ माना गया,और स्वास्थ्य विभाग द्वारा अंतिम नर्सिंग भर्ती भी आंदोलन के बाद वर्षवार की गई, तो फिर वही मान्यता UPNL कर्मियों को क्यों नहीं?
क्या दो तरह के ‘अनुभव’ बनाए जा सकते हैं?
क्योंकि न्याय की परिभाषा सबके लिए समान होती है।”
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि
“हम युवाओं के हर संगठन का सम्मान करते हैं।
लेकिन उपनल कर्मियों के नियमितीकरण का विरोध नीति से ज्यादा राजनीति जैसा दिख रहा है।
शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि जो लोग 2006 के आदेश की बातें कर रहे हैं, पर यह नहीं बता रहे कि वर्तमान आदेश, नवीन न्यायालय टिप्पणियाँ, और संशोधित नीतियाँ उपनल कर्मियों के पक्ष में हैं।
नीति बनती है आगे की भर्ती के लिए
यह बिल्कुल ठीक है। लेकिन जो 10–15 साल से सेवा दे रहे हैं, उन्हें एक झटके में नकारना
असंवैधानिक भी है और अमानवीय भी।”
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने कहा “सरकार से मेरा सवाल साफ है जब अदालतें UPNL कर्मियों के पक्ष में निर्णय दे चुकी हैं, तब नियमितीकरण में देरी क्यों? जब इन कर्मचारियों ने संवेदनशील पदों पर लगातार सेवा दी, तब उनका भविष्य अधर में क्यों?
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने कहा कि नीति यदि बनानी है तो नई भर्ती के लिए बनाएं पर पुराने कर्मियों को उसके आधार पर दंडित क्यों किया जा रहा?
उन्होंने सवाल उठाया की क्या ‘नो वर्क नो पे’ जैसे आदेश संघर्ष को दबाने का तरीका नहीं है?”
“अदालतों में बार-बार असहज होने के बाद
जब आज सरकार के पास UPNL कर्मियों को देने के लिए ठोस जवाब नहीं बचा,
तभी कुछ समूहों को आगे लाकर मुद्दे को विक्षेपित करने की कोशिश दिखती है।
लेकिन यह जान लें उपनलकर्मियों की लड़ाई कानून, तर्क और अधिकारों की लड़ाई है। इसे कोई भटका नहीं सकता।”
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने कहा कि
“हमारी मांगें बेहद स्पष्ट, तार्किक और संविधानसम्मत हैं—
उपनल कर्मियों का चरणबद्ध नियमितीकरण तुरंत शुरू किया जाए।
भविष्य की भर्तियों के लिए एक पारदर्शी, ठोस और स्थायी नीति बनाई जाए।
आंदोलनों पर दमनकारी आदेश—‘नो वर्क नो पे’— वापस लिए जाएँ।
आउटसोर्सिंग को कम करके मूल सेवा नियमों को लागू किया जाए।”
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने कर्मियों का बचाव करते हुए कहा कि “ये वही लोग हैं जो आपके अस्पताल में मशीन चलाते हैं, आपदा के समय सबसे पहले पहुँचते हैं, स्कूलों में सपोर्ट स्टाफ बनकर काम करते हैं, आपके घरों तक बिजली पहुंचाते हैं अन्य कई विभाग की रीढ़ हैं और सचिवालय से लेकर मैदानी विभागों तक व्यवस्था को चलाते हैं।
इनकी नौकरी का स्थायित्व मांगना राजनीति नहीं—मानव अधिकार है।”
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने कहा कि वह उपनल कर्मियों के समर्थन में पूरी मजबूती से खड़े हैं।
यह लड़ाई किसी पार्टी या संगठन की नहीं—यह मेहनत की लड़ाई है, न्याय की लड़ाई है,
और उत्तराखंड के हर मेहनतकश परिवार की लड़ाई है। न्याय में देरी—न्याय के इनकार के समान है।
अब समय है कि उपनल कर्मियों को वह सम्मान मिले जिसके वे हकदार हैं।”
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल, वन एवं पर्यावरण प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश ईष्टवाल, सैनिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भगवती प्रसाद नौटियाल महानगर अध्यक्ष नवीन पंत, सुशीला पटवाल, सैनिक प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष भगवती प्रसाद गोस्वामी आदि तमाम लोग मौजूद थे।



