देहरादून : SDRF वाहिनी मुख्यालय जॉलीग्रांट में होली मिलन समारोह आयोजित, मुख्य अतिथि पुष्पक ज्योति रहे, सभी को दी होली की शुभकामनायें

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देहरादून : मंगलवार को SDRF वाहिनी मुख्यालय जॉलीग्रांट (AIRPORT के पास) में होली मिलन समारोह आयोजित किया गया। होली मिलन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि पुष्पक ज्योति, पुलिस महानिरीक्षक SDRF द्वारा वाहिनी में उपस्थित अधिकारियों व कर्मचारियों को अबीर गुलाल लगा कर होली की शुभकामनाएं दी गयी। इस मौके पर मुख्यालय में तैनात कर्मी मौजूद रहे. जिनमें अधिकारी व् अन्य कर्मी रहे मौजूद. सभी को होली का टीका लगाकार पुष्पक ज्योति, पुलिस महानिरीक्षक SDRF दवारा होली के पर्व की शुभकामनायें दी गयी.

एस.डी.आर.एफ. के बारे में एक नजर –

उत्तराखण्ड राज्य में किसी भी प्राकृतिक व अप्राकृतिक आपदा के समय तत्काल राहत एंव बचाव आदि कार्यो को त्वरित व प्रभावी रूप से सम्पादित किये जाने के उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एस.डी.आर.एफ.) का गठन किया गया।

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एस.डी.आर.एफ. एक दृष्टि- 09 अक्टुबर 2013 को राज्य आपदा प्रतिवादन बल के गठन हेतु शासनादेश निर्गत किया गया एंव 02 कम्पनियों के गठन हेतु स्वीकृति प्रदान की गयी। माह फरवरी 2014 में प्रथम चरण में नागरिक पुलिस, पी0ए0सी0, आई0आर0बी0 वायरलेस, फायर सर्विस, एंव अन्य अनुषागिंक शाखाओं से योग्यता के आधार पर प्रतिनियुक्ति की गई। प्रथम ‘ए’ एंव ’बी’ कम्पनी हेतु पुलिस के 152 जवानों/अधिकारियों को एन0डी0आर0एफ0 के प्रशिक्षण केन्द्रों पटना, भटिंडा, गाजियाबाद में प्रशिक्षित कर एस0डी0आर0एफ0 (राज्य आपदा प्रतिवादन बल) का गठन किया गया एंव माह मार्च 2014 में एसडीआरएफ ने अपने प्रारम्भिक स्वरूप को प्राप्त किया।

आपदा में एस.डी.आर.एफ. की भूमिका-

  • आपदा सम्भावित क्षेत्रों में व्यवस्थापित रह कर सम्भावित आपदा से निपटने के लिये तैयार रहना।
  • आपदा कार्यों के अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में जाकर आपदा से सम्बन्धित प्रशिक्षण एवं जन जागरूकता अभियान चलाना।
  • आपदा के समय क्षेत्र से मलबे को हटाकर, मृत एवं घायल व्यक्तियों को बाहर निकालना।
  • घायलों का अस्पताल पूर्व उपचार करते हुए पीड़ित एवं प्रभावित लागों का मनोबल बढाना।
  • आपदा में मृत व्यक्तियों का शव प्रबन्धन करना।स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर राहत सामग्री आपदा पीड़ितों तक पहुँचाना।
  • आपदा क्षेत्र में कार्य करने वाली अन्य संस्थाओं के साथ सामंजस्य बिठाना।
  • पीड़ितों का मनोबल ऊॅंचा करते हुये पुनर्निर्माण के कार्यो में सहायता देना।
  • राज्य आपदा स्वैच्छिक सेवा दल के सदस्यों के साथ समन्वय स्थापित करना।
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