उत्तर प्रदेश: चीनी मिलों की तर्ज पर 6 शानदार डेयरी संयंत्रों को पट्टे पर देने का निर्णय !

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ग्रेटर नॉएडा : (राजेश बैरागी) आत्मनिर्भर भारत के अमृत काल में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रादेशिक कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (पीसीडीएफ) की नोएडा समेत आजमगढ़ , गोरखपुर, कानपुर नगर, प्रयागराज व मुरादाबाद के छह श्रेष्ठ डेयरी संयंत्रों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर ली है ! ये छहों डेयरी प्रतिदिन दस लाख सत्तर हजार लीटर दूध उत्पादन की क्षमता रखती हैं।

सरकार ने इन्हें अपने बजट,अवस्थापना विकास निधि व नाबार्ड की ग्रामीण अवस्थापना विकास निधि से कर्ज लेकर लगाया था। प्रयागराज और नोएडा के डेयरी संयंत्रों का पुनरुद्धार कार्य भी कराया गया है। इनमें से कानपुर नगर, गोरखपुर व मुरादाबाद में पूरी तरह ऑटोमैटिक ग्रीन फील्ड डेयरी संयंत्र हैं।इन्हें निजी हाथों में देने का फैसला भी कम रोचक नहीं है। शासन में बैठे उच्चाधिकारियों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार पीसीडीएफ के नये व उच्चीकृत डेयरी संयंत्रों में निरंतर घाटा हो रहा है।साथ ही इनमें मानव संसाधनों का भी अभाव है। क्या सरकार बता सकती है कि घाटे में चलने वाले संयंत्रों को पट्टे पर उद्योगपति आखिर क्यों लेंगे? और यदि उन्हें मुनाफे में बदला जा सकता है तो सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती है? और सरकार मानव संसाधन कम होने के आधार पर डेयरी उद्योग को निजी हाथों में कैसे दे सकती है जबकि राज्य और देश में बेरोज़गारी भयानक रूप में उपस्थित है। नागरिक रोजगार के लिए धरना प्रदर्शन और आत्मदाह तक करने को विवश हैं और सरकार को काम करने वाले हाथ ढूंढे नहीं मिल रहे हैं।

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क्या यह सरकारी मजाक है?मजाक तो यह भी है कि सरकार पट्टे पर दिए जाने वाले डेयरी संयंत्रों पर बकाया कर्ज की भरपाई भी स्वयं करेगी। यह कर्ज लगभग पौने दो सौ करोड़ रुपए है। क्या यह कदम किन्हीं खास उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है? मुझे इसमें मायावती सरकार के दौरान औने-पौने दामों पर चालू चीनी मिलों को बेचने जैसी बू आ रही है।

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