ऋषिकेश : राष्ट्रीय खेल दिवस…परमार्थ निकेतन पहुंचे देवभूमि मास्टर्स एथलेटिक्स एंड स्पोटर्स डेवलपमेंट ऐसोसिएशन के पदाधिकारी साइकिल से, लिया संकल्प
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने ‘द विजार्ड’ के नाम से मशहूर हमारे मेजर ध्यानचंद को विदेश की धरती से भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की

- हैल्थ अवेयरनेस व निर्मल गंगा अभियान को सहयोग प्रदान करने हेतु देहरादून से ऋषिकेश तक निकाली साइकिल रैली
- डीजीपी, उत्तराखंड अशोक कुमार ने हरी झंड़ी दिखाकर किया साइकिल रैली को देहरादून से परमार्थ निकेतन के लिये किया रवाना
- परमार्थ निकेतन गंगा तट पर गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का लिया संकल्प
- महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती का लिया आशीर्वाद : प्रमाणपत्र और पदक किये भेंट
ऋषिकेश : आज राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर देहरादून से शुरू हुई साइकिल रैली परमार्थ निकेतन आयी। परमार्थ निकेतन गंगा तट साइकिल रैली का समापन किया। परमार्थ निकेतन की सेवा टीम, देवभूमि मास्टर्स एथलेटिक्स एंड स्पोटर्स डेवलपमेंट ऐसोसिएशन के पदाधिकारियों और साइकिल रैली में सहभाग करने वाले प्रतिभागियों ने गंगा तटों की सफाई कर गंगा को स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त रखने का संकल्प लिया।
डीजीपी, उत्तराखंड अशोक कुमार ने हरी झंड़ी दिखाकर साइकिल रैली को देहरादून से परमार्थ निकेतन के लिये किया रवाना। परमार्थ निकेतन आकर सभी प्रतिभागियों ने महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द जी से भेंट का आशीर्वाद लिया। स्वामी ने सभी को प्रमाणपत्र व पदक भेंट किये। ज्ञात हो कि आज देश के सर्वोच्च खेल सम्मान खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित ‘मेजर ध्यानचंद जी का जन्म दिवस है।
महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति सभी को जोड़कर रखती है, चाहे किसी भी धर्म, सम्प्रदाय के लोग हो। सभी के अन्दर परमपिता परमात्मा का अंश है। उन्होंने अर्थववेद के मंत्र का उल्लेख करते हुये कहा कि परमात्मा ने जब सृष्टि का निर्माण किया तो सभी के शरीर बना दिये और फिर उसमें चेतना डालने के लिये स्वयं प्रवेश किया अर्थात् हमारी आत्मा स्वयं परमात्मा का ही स्वरूप है तथा सभी में एक ही परमात्मा का वास है। जिस प्रकार आकाश है, चाहे हम उसे बड़े समुद्र में देखें, गंगा जी में देखे या छोटे से पात्र में देखे वह सम्पूर्ण है, ऐसा नहीं की छोटे से पात्र में आकाश का छोटा सा भाग दिखायी देता है उसी प्रकार सभी के अन्दर आत्मा का भी पूर्ण अंश विराजमान है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने ‘द विजार्ड’ के नाम से मशहूर हमारे मेजर ध्यानचंद को विदेश की धरती से भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। उन्होंने भारत के युवाओं का आहृवान करते हुये कहा कि ’भारत की युवा शक्ति अपनी शिक्षा के साथ खेल में भी विशेष ध्यान दे। जीवन मूल्यांे के साथ अपने कर्तव्यों को पूरा करें और लक्ष्यों को निर्धारित करते रहे। जीवन मेेें देशसेवा को स्थान दें तथा अपनी शक्तियों को सकारात्मक दिशा में लगाये और अपनी जड़ों से भी जुुड़ें रहे क्योंकि जड़ों से खोखला हुआ वृक्ष ज्यादा दिनों तक हरा-भरा नहीं रह सकता उसी प्रकार जड़ों से; संस्कृति से; संस्कारों से अलग होकर हमारे राष्ट्र का युवा भी उस गौरव को प्राप्त नहीं कर सकता जिसका वास्तव में वह अधिकारी।
इस अवसर पर अध्यक्ष अरूण कुमार सूद, उपाध्यक्ष जयमल सिंह नेगी, महासचिव सतीश चन्द चैहान, सचिव ललित जोशी, सहसचिव गोगुलानन्द पंत, कोषाध्यक्ष गम्भीर सिंह पवांर, जितेन्द्र गुप्ता, डा डी एस नेगी, कमल सिंह बिष्ट, हरीश रावत, कर्नल अमित गुरूं, हीरा सिंह नेगी और प्रतिभागियों ने सहभाग किया। सभी प्रतिभागियों ने परमार्थ निकेतन में भोजन प्रसाद ग्रहण कर इस दिव्य वातावरण का आनन्द लिया।