ऋषिकेश : गौहरी माफी पहुंचे कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल बाढ़ग्रस्त हालात का जायजा लेने, राजाजी पार्क की डिप्टी डायरेक्टर ने सुप्रीम कोर्ट का निर्णय रखा सामने, मंत्री बोले रास्ता निकालिये कुछ

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ऋषिकेश : (मनोज रौतेला) गौहरी माफी में बाढ़ का पानी गाँव में घुसने के बाद अब नेता, अधियकारियों के दौरे शुरू हो गए हैं. दो दिन पहले ग्राम प्रधान रोहित नौटियाल राजा जी नेशनल पार्क प्रशासन पर भड़क गए थे. उनका साफ कहना था पार्क प्रशासन यहाँ पर काम नहीं होने दे रहा है. नतीजा बाढ़ का पानी गाँव में घुश गया है. जो भी योजनाएं आयी हैं या स्वीकृत हुयी हैं वे धरातल पर नहीं उतर पायी हैं. उसके बाद गुरूवार को शहरी विकास मंत्री और स्थानीय विधायक डॉ. प्रेम चंद अग्रवाल भी गाँव में पहुंचे.आपको बता दें गौहरी माफ़ी में सबसे ज्यादा पानी सांग नदी का आता है, दूसरी तरह गंगा नदी है गाँव के. बाढ़ में अक्सर इस गाँव हालत बदतर हो जाती है. पानी घुसने से ग्रामीण परेशान हो जाते हैं. कुछ भूमि गंगा नदी में बह भी गयी है.

Dr. Premchand Aggarwal, Cabinet Minister

कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने उत्तराखंड टाइम्स से बात करते हुए कहा, “गौहरी माफ़ी बहुत सेंसटिव एरिया है, बाढ़ की दृष्टि से पानी की दृष्टि से, जिस तरह से गौहरी मांफी में 20 करोड़ के काम हुए हैं, ऊपर की तरह, उससे तो हमारी काफी बचत हुई है हमारी, लेकिन जहाँ पर मैं खड़ा हूँ जिस जगह पर कुछ काम स्वीकृत हुए तीन योजनाएं, लेकिन उस पर कहीं न कहीं दिक्कतें आ रही हैं. आज मैंने राजा जी नेशनल पार्क के और तमाम प्रशासनिक अधिकारियों और सिंचाई विभाग से बातचीत की है. क्योँकि इसके बिना यदि बाढ़ सुरक्षा काम नहीं हुआ गाँव बहने की स्थित में है, जॉइंट सर्वे हुआ है, राजस्व कह रहा है हमारी जमीन है, राजा जी पार्क प्रशासन कह रहा है हमारी जमीन है. इस पचड़े पर पड़ने की वजह से रुका हुआ है काम. मैंने कहा इनसे आप इसका रास्ता निकालिये, क्योँकि बाढ़ सुरक्षा और बाढ़ जो आयेगी नाके पर मकान हैं खेती हैं जिनके वह बह जायेंगे.हम बढ़ सुरक्षा की स्वीकृति सरकार से कर रहे हैं. काम नहीं होगा तो लाभ नहीं मिलेगा. तो मैंने कहा तुरंत इस पर निर्णय लें, ताकि बाढ़ सुरक्षा के काम हो सके और लोगों को इसका लाभ मिल सके.”.

कहकशा नसीम, डिप्टी डायरेक्टर, राजा जी नेशनल पार्क

क्या बोली राजा जी नेशनल पार्क की डिप्टी डायरेक्टर कहकशा नसीम –
राजा जी नेशनल पार्क की डिप्टी डायरेक्टर कहकशा नसीम भी गौहरी मांफी पहुंची थी, उत्तराखंड टाइम्स के साथ बातचीत में उनका कहना था “बाढ़ सुरक्षा संबंधी कार्य में दो तरह के कार्य होते हैं, एक चैनलाइजेशन, दूसरा तटबंध वगैरह बनाना होता है. पहले कुछ काम तो हुए हैं. लेकिन अभी फ़रवरी 8 को सुप्रीम कोर्ट का एक वर्डिक्ट आया है, जिसमें नेशनल पार्क, सैंक्चुरी या इस तरह के प्रोटेक्टेड एरिया में किसी तरह का कंस्ट्रक्शन का कार्य नहीं हो सकता है, इसी के मद्देनजर हम लोगों ने यहाँ पर इस काम को रुकवाया है. जब तक सुप्रीम कोर्ट का वर्डिक्ट रूल आउट नहीं हो जाता या उत्तराखंड को रहत नहीं देते हैं, तब तक हम कार्य की अनुमति के निर्देश नहीं दिया जा सकता है. इस ग्राम प्रधान रोहित नौटियाल समेत कई ग्रामीण और डिप्टी डायरेक्टर राजा जी नेशनल पार्क कहकशा नसीम, रेंजर आलोकि व् अन्य वन कर्मी मौजूद रहे. 

मामला कुछ भी हो, राजनीती, नियम कानूनों के बीच में ग्रामीण प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में उनका क्या दोष है ? फैसला लेना राजनीतिज्ञों का है, उसको अमली जामा पहनाना अधिकारियों का काम है. आने वाले दिनों में देखने वाली बात होगी क्या फैसला होता है ?

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