गंगा किनारे के शहर में आखिर रंग लाई भुवनेश्वर भारद्वाज की मेहनत, मिल सका जल 35 लोहार परिवारों को

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ऋषीकेश :(मनोज रौतेला) देहरादून रोड पर बाला जी के बगीचे के सामने 35 लोहार परिवारों को मिला पेयजल। इसका काफी हद तक क्रेडिट जाता है समाजिक कार्यकर्ता भुवनेश्वर प्रसाद भारद्वाज को। भारद्वाज लंबे समय से सड़क से लेकर डीएम ऑफिस तक चक्कर काट रहे थे।पत्राचार, वार्ता के कई दौरों के बाद पेयजल मयस्सर हो पाया।इन लोहारों को जैसे पानी की बूंद गिरने पाइप से तो ऐसा लगा जैसे रेगिस्तान के बीच में बारिश हो गयी। आखिर सच किसी ने कहा है, रेगिस्तान से पूछो पानी किसे कहते हैं…कहते हैं रेगिस्तान जवान हो उठता है पानी के बूंदों से।खैर यहां रेगिस्तान तो नहीं था लेकिन रेगिस्तान से जुड़े हुए लोग थे,उनकी समस्या भी रेगिस्तान जैसी थी।

देहरादून रोड पर बाला जी के बगीचे के सामने रह रहे ये लोहार वर्षों से ऋषीकेश में रह रहे हैं।लोहा पीट पीट का गुजर बसर करने वाले ये लोग वोट भी देते हैं। लेकिन वोट लेने वालों ने भी इनको खूब छला।समस्या सुनी फिर अपनी राजनीति में मशगूल हो गए। इन लोहारों के आगे से संत्री से लेकर मंत्री तक सायरन बजाते हुए निकल गए।लेकिन किसी की गंभीर नजर नहीं पड़ी। पड़ी भी होगी तो सर पर खुजली करते हुए AC कार में 80-100 कई स्पीड से गुजरते रहे।लेकिन कोई अपना न निकला। इनको पानी, आवास नहीं दिला पाए।अब एक युवा सामाजिक कार्यकर्ता ने रात दिन एक कर के पेयजल की पाइप लाइन इनके झोपड़ीयों के बीच पहुंचा दी।मूंछों पर ताव देते लुंगी पकड़े लोहार कहने लगा, अरे सुणियो रे….पाणी आ ग्यो म्हारे ढाणी में।।साहब की मेहरबानी तै.…

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आपको बता दें, ऋषीकेश के 35 बागड़ी लोहार परिवारों को कई सालों से पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा था।गर्मी के मौसम में पानी की समस्या सबसे विकट होती थी, जिससे परिवारों को भारी परेशानी होती थी।युवा समाजिक कार्यकर्ता भुवनेश्वर प्रसाद भारद्वाज ने लोहार समुदाय की इस समस्या का देखा, सुना और इस पर कार्य किया। अकेले-अकेले। उनकी मदद करने का बीड़ा उठाया।  भारद्वाज ने जल विभाग से संपर्क कर लोहार परिवारों के लिए जल सुविधा की व्यवस्था करने का अनुरोध किया। उनके प्रयासों का फल सकारात्मक रहा और जल विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए शुक्रवार को लोहार परिवारों के लिए पानी नल की व्यवस्था कर दी।लोहार परिवारों ने खुशी मनाते हुए नल की पूजा की और  भारद्वाज का आभार व्यक्त किया। भारद्वाज के गले में गेंदे के फूल माला पहना कर सम्मान भी किया।

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गेंदे के फूलों की भीनी भीनी महक के बीच भारद्वाज ने कहा “हर ज़रूरतमंद की मदद करना मेरा कर्तव्य है। मैं कई वर्षों से जंगल में रहने वाले वन गुजरों की भी सेवा कर रहा हूं। मेरा मानना है कि मानवता सबसे महत्वपूर्ण है। मैं सभी पत्रकारों और अधिकारियों का भी धन्यवाद करता हूं जिन्होंने इस मुद्दे को उजागर करने में मेरा सहयोग किया।”….कहते हैं न, किसी को पानी पीने में मजा आता है तो, किसी को पानी पिलाने में….यहाँ लेकिन दोनों एक साथ हैं।इसलिये डबल मजा।।

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