(लेख) राष्ट्रप्रथम-दुर्योधन ने कहा “सूच्यग्रम नैवदास्यामि बिना युद्धयेन केशव:” हे कृष्ण!

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राष्ट्रप्रथम-भारत माँ तेरी जय हो विजय हो
              -पार्थसारथी थपलियाल-
सामरिक युद्ध अधिकतर दम्भ और अहंकार का प्रतिफल होता है। अन्याय के विरुद्ध न्याय की आकांक्षा वंचित वर्ग करता है। अहंकारी की चौखट पर न्याय की भीख मांगना भी स्वयं को दीन हीन घोषित करने के बराबर है। महाभारत इसका बड़ा उदाहरण है। श्रीकृष्ण दुर्योधन के पास समझौता वार्ता के लिए गए कि पांडवों को 5 गांव दे दो…आए विवाद खत्म करो। दुर्योधन ने कहा “सूच्यग्रम नैवदास्यामि बिना युद्धयेन केशव:” हे कृष्ण!
बिना युद्ध के मैं सुई की नोक बराबर भी भूमि नही दूंगा।रूस और यूक्रेन के मध्य चल रहा संग्राम भी कुछ ऐसा ही है। वैश्विक राजनीति में अनुभव हीनता के कारण यूक्रेन ने यूरोपीय संघ के देशों, नार्थ अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के देशों और अमेरिका जैसे राष्ट्रों के छल कपट भी थी से नही समझा। अवध के नवाब जब फुरसत से होते थे तो वे मुर्गे लड़ाने का शौक पूरा करते थे। यही काम इन देशों ने यूक्रेन के साथ किया। यूक्रेन को रूस के सामने लड़ने के लिए अकेले छोड़ दिया। निहत्था यूक्रेन और उसकी राष्ट्रवादी जनता स्वाभिमान की रक्षा के लिए रूस का सामना कर रहे हैं।
यूक्रेन लोकतांत्रिक देश  है जबकि रूस अधिनायक वादी देश। भारत और रूस की मैत्री काल परीक्षित है। यह दुनिया भी जानती है। हाल के वर्षों में भारत की बढ़ती प्रभुता को स्वीकारते हुए यूक्रेन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मध्यस्थता की बात की। प्रधानमंत्री मोदी ने लोकतांत्रिक देश की अपील पर ध्यान दिया और राष्ट्रपति पुतिन के मध्य सद्भावपूर्ण  दूरभाष वार्ता हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत के माध्यम से समस्या का हल निकालने पर बल दिया।  रूस ने क्या कहा, यह पता नही चला लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन में रह रहे भारतीय विद्यार्थियों की सुरक्षित घर वापसी की बात भी कही।
यह भारतीयों के लिए बड़े गर्व की बात है कि रूस ने कहा जो भारतीय अपने हाथों में अपना राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा लेकर निकले, उन्हें सुरक्षित गंतव्य स्थान तक जाने दिया जाएगा। जिन घरों में तिरंगा लगा होगा उन्हें नुकसान नही पंहुचाया जाएगा। यह दृश्य बहुत रोमांचक था कि रूसी सैनिक तिरंगाधारी भारतीयों को सलाम करते हुए भेज रहे हैं। पाकिस्तानी छात्रों को पता चला तो वे भी तिरंगा लेकर चेक पोस्ट पर सुरक्षित पहुंच गए। वहां जब उनके डाक्यूमेंट्स जांच किये गए तो  पता चला वे पाकिस्तानी छात्र थे जो तिरंगे का सहारा लेकर चेक पोस्ट तक पहुंच गए। उन्हें इसलिए रोका गया क्योंकि पाकिस्तान सरकार ने इस प्रकार का निवेदन नही किया था। उन्हें वापस भेज दिया गया। अपने नागरिकों को भारत ने अनेक बार इस तरह की दुविधा प्रदान की।
जब तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता संभाली उस समय भी भारत ने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकाला साथ अन्य देशों के नागरिको को भी निकाला अनेक पड़ोसी देशों ने भी इस काम मे भारत की सहायता की। उससे पहले वुहान शेर से खाड़ी देशों से भी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया।भारत यूक्रेन-रूस युद्ध मे स्वयं को तटस्थ रखा है। यद्यपि रूस कोई अच्छा काम तो नही किया है लेकिन 1971 में सोवियत संघ ने भारत की जो सहायता की थी, साथ ही अनेक मसलों पर रूस भारत के साथ खड़ा रहा ऐसे समय भारत ने तटस्थता की नीति अपनाकर यूक्रेन, यूरोपीय यूनियन के देशों को यह संदेश भी पहुँचा दिया भारतीय संसद द्वारा जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के निष्प्रभाविकरण के समय डेमोक्रेटिक यूक्रेन और यूरोपीय देशों ने तब पाकिस्तान के समर्थन में क्या कहा था? यूक्रेन ने संयुक्तराष्ट्र संघ में भी अनेक बार भारत के विरुद्ध आवाज उठाई थी।
हमारे देश के सेकुलरिये धूर्त भारतीय तिरंगे के बढ़ते मान को भी प्रधानमंत्री मोदी का ड्रामा बताएंगे। इन धूर्तों को अब मुफ्त का माल नही मिलता इसलिए ये भारत सरकार और उसकी वैश्विक स्वीकार्यता को कभी देखना सुनना भी पसंद नही करेंगे। ये धूर्त सनातन विरोधी हैं जिनका सेकुलरवाद भारतीय पंथनिरपेक्षता के विरुद्ध है। इसलिए सांपों से अमृत प्राप्ति की उम्मीद करना वहम पालने जैसा है।भारत के राष्ट्रध्वज को सम्मानित होते देखना भारतीयों के लिए हर्ष का विषय है। इसलिए –
भारत माँ तेरी जय हो विजय हो!

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