ऋषिकेश : बनखंडी रामलीला मैदान में आयोजित रामलीला के 10वें दिन का शुभारंभ लंका से हनुमान वापसी के साथ हुआ

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ऋषिकेश : वर्ष 1955 से स्थापित सुभाष बनखंडी श्री रामलीला के 10वें दिन लंका से विभीषण शरणागत, सेतुबंध रामेश्वरम पूजा और अंगद रावण संवाद की लीला का मंचन किया गया। इस दौरान रावण की सेना में किसी भी सैनिक द्वारा अंगद का पैर ना उठा पानी पर राम भक्तों ने जय श्री राम के जयकारे लगाए।

बनखंडी रामलीला मैदान में आयोजित रामलीला के 10वें दिन का शुभारंभ लंका से हनुमान वापसी के साथ हुआ। हनुमान जी श्री रामचंद्र जी को बताते हैं कि लंका में उन्हें माता सीता की खोज रावण के ही भाई विभीषण ने मदद की। वही लंका में रावण अपने भाई विभीषण को लात मार कर देश निकाला कर देता है। श्री राम जी के शिविर में जाता है, श्री राम के भक्त विभीषण को स्वीकार कर लेते हैं।

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लीला के दूसरे दृश्य में दिखाया गया कि सेतु पार करने के लिए नल नील की मदद से समुद्र में राम नाम लिखे पत्थर डाले जाते हैं। यहाँ श्रीराम रामेश्वरम धाम की स्थापना भी करते हैं। इसके बाद श्री राम जी एक बार पुनः रावण को समझाने के लिए दूत के रूप में इस बार युवराज अंगद को भेजते हैं।

अंगद रावण दरबार में पहुंचकर बहुत समझाने की कोशिश करता है। मगर अहंकारी रावण सीता को वापस ना करने की बात कहता है। इस पर अंगद श्रीराम के आशीर्वाद से अपनी ओर से एक छोटी सी शक्ति दिखाता है और रावण की सेना में उसके पैर को हिला पाने की चुनोती देता है। जब एक भी सैनिक अंगद का पैर नहीं हिला पाते हैं, तो रावण अपने पुत्र मेघनाथ को भेजता है मगर अफसोस वह भी अंगद का पैर हिला तक नहीं पाता। तब रावण स्वयं आता है, मगर अंगद अपना पैर खुद हटा लेते हैं और रावण को श्रीराम के चरणों में जाने को कहते हैं।

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इस मौके पर रामलीला कमेटी सुभाष बनखंडी के अध्यक्ष विनोद पाल, महामंत्री हरीश तिवाड़ी, राजेश दिवाकर, राकेश पारछा, दीपक जोशी, रोहताश पाल, हुकुम चंद, मनमीत कुमार, पप्पू पाल, संजय शर्मा, प्रशांत पाल, महेंद्र कुमार, अनिल धीमान, ललित शर्मा, दया शंकर पांडेय, अशोक मौर्य, सुभाष पाल, पवन पाल, नीतीश पाल आदि उपस्थित रहे।

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