पशु प्रेम हो तो ऐसा…”स्ट्रीट डॉग” के चौथे पर उमड़ा पूरा गांव, बने लड्डू किया गया बारहवीं अनुष्ठान

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अरविन्द भाई पंडित की रिपोर्ट-

इंसान इस दुनिया को छोड़ कर जाता है तो उसका अंतिम संस्कार किया जाता है. लेकिन जानवर का किया जाए तो अटपटा जरूर लगता है. लेकिन वह भी परिवार का हिंसा बन जाता है. जो जानवरों को पालते हैं तो परिवार की तरह पालते हैं. जब उनकी मौत हो जाती है तो बाकायदा संस्कार, अनुष्ठान उनके प्रति प्रेम, जिम्मेवारी भी दिखती है.ऐसा ही देखने को मिलता है…लेकिन यहाँ न परिवार था न अपना कोई…यहाँ तो गाँव ही उसका परिवार था और समूचे गाँव के परिवार का वह हिस्सा था.

गुजरात के अहमदाबाद से सटे कडी के करणनगर गांव में भूरिया ब्रहमचारी की मौत के बाद आयोजित चौथे में सारा गांव उमड़ पड़ा. सात साल के भूरिया श्वान (कुत्ता) की प्राकृतिक मृत्यु के बाद, ग्रामीणों ने बाकायदा विधि पूर्वक अंतिम संस्कार किया और रविवार को आयोजित चौथे पर पुष्पांजलि अर्पित की गई और गांव की महिलाओं ने रामधुन से श्रद्धांजलि अर्पित की। भूरिया कुत्ते से गांव के सभी लोगो का लगाव था। चौथे के बाद भूरिया की आत्मा के कल्याण और मानव जाति के उद्धार के लिए बारहवीं का अनुष्ठान का भी आयोजन किया गया है. जानवर से प्रेम हो तो ऐसा…ये हम इसलिए कह रहे है दरअसल गुजरात के गाँधीनगर जिले के कलोल तहसील करणनगर नामक गाँव मे आज से 12 दिन पहले एक श्वान (कुत्ते) की मौत हो गई गांव की गलियों में घूमने वाला यह कुत्ता पूरे गांव का लाडला था. इसे लोग भूरिया ब्रह्मचारी कहकर बुलाते थे. जिसकी आज से 12 दिन पहले मौत हुई. पूरे गांव ने विधि विधान से अंतिम संस्कार किया और तीसरे दिन शोक सभा आयोजित की गई. आत्मा की शांति के लिए बारहवे का आयोजन किया गया. जिसमें पूरी रस्मों रिवाज के साथ बारहवें की विधि की गई पूरे गांव ने शोक व्यक्त किया और बारहवें के बाद लड्डू बनाये गए. पूजा अर्चना कराई गई. इसके बाद गांव की श्वानों (कुत्तों) को भी लड्डू खिलाये गए इसके बाद यही कहा जा सकता है..

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“बस देखने वालों की नजर में अंतर है,
वरना जानवर आज के इंसान से बेहतर है”

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