लखनऊ : सोसाइटी एक्ट में संशोधन, 2 वर्ष या उससे अधिक सजा पाया व्यक्ति नहीं होगा सोसाइटी का सदस्य

यूपी: श्रीकांत त्यागी प्रकरण के बाद सरकार आई एक्शन में, सोसाइटी एक्ट में संशोधन किया लागू,
दो वर्ष या उससे अधिक सजा पाया व्यक्ति नहीं होगा सोसाइटी का सदस्य.
उत्तर प्रदेश में सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण (उत्तर प्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2021 के कुछ प्रावधानों में आवश्यक संशोधन किए गए हैं। इस अधिनियम के अधीन संस्थाओं के पंजीकरण व नवीनीकरण, सोसायटी के सदस्यों के चयन व निर्वाचन के संबंध में उप रजिस्ट्रार, सहायक रजिस्ट्रार और विहित प्राधिकारी (उपजिलाधिकारी) के निर्णयों के विरुद्ध मंडलायुक्त के यहां अपील हो सकेगी। पहले अपील के लिए हाईकोर्ट जाना पड़ता था। यह जानकारी वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। वित्त मंत्री ने बताया कि अब अगर कोई व्यक्ति आपराधिक मामले में दो वर्ष या उससे अधिक समय के लिए सजा पाया हो तो वह किसी सोसाइटी में पद धारण के अयोग्य होगा। पूर्व में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं होने के कारण समितियों में अयोग्य व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व बढ़ता जा रहा था।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में इस अधिनियम को यूपी विधानसभा ने पास किया था, इसे अब राष्ट्रपति के यहां से मंजूरी मिल चुकी है। अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव 18 जुलाई से प्रभावी माने जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि सोसाइटी के सदस्यों की चयन की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए जाने के उद्देश्य से अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि शासी निकाय के अनुमोदन के बाद ही साधारण सभा की सूची में कोई भी परिवर्तन हो सकेगा।
संशोधन के पूर्व अधिनियम में साधारण सभा की सूची में नए सदस्यों के आने, हटाए जाने, सदस्यों की मृत्यु और त्यागपत्र देने के बाद परिवर्तन के लिए एक माह में संशोधित सूची बिना शासी निकाय के अनुमोदन के रजिस्ट्रार को दाखिल करने की व्यवस्था थी।
सोसायटी की संपत्ति बेचने के लिए कोर्ट से लेनी होगी अनुमति-
अधिनियम में 1979 में धारा-5(ए) जोड़ी गई थी। इसमें यह प्रावधान रखा गया था कि बिना सक्षम न्यायालय की पूर्व अनुमति के सोसाइटी की अचल संपत्ति के अंतरण को गैरकानूनी घोषित कर दिया जाए। यह धारा वर्ष 2009 में समाप्त कर दी गई थी। नतीजतन सोसाइटी की अचल संपत्तियों का ट्रांसफर तेजी से होने लगा।
अब अधिनियम में 1979 में जोड़ी गई धारा 5 (ए) को यथावत दोबारा स्थापित किया गया है। अब अगर सोसाइटी की अचल संपत्ति का अंतरण, दान, रेहन और विक्रय आदि सक्षम न्यायालय के पूर्व अनुमति के बिना किया जाता है तो वह विधिसम्मत नहीं होगा !!