गोमती टास्क फोर्स सेना के जवानों के साथ पर्यावरण विद डॉ विनोद प्रसाद जुगलान और अन्य सहायक नदियों के संरक्षण के बिना नदियों का पुनरुद्धार नहीं – डॉ जुगलान

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ऋषिकेश : नदी विकास एवं जल संरक्षण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा नमामि गंगे जिला गंगा संरक्षण समिति देहरादून के3 नामित सदस्य अंतर्राष्ट्रीय जलवायु कार्यवाही नेतृत्वकारी सम्मान से सम्मानित पर्यावरणविद डॉ विनोद प्रसाद जुगलान ने नदियों के पुनरोद्धार पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि गंगा यमुना संरक्षण हो या गोमती का संरक्षण इनको सदानीरा रखना है तो इनकी सहायक नदी, नालों, गाड़, गदेरो और उनसे जुड़े प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण न केवल अत्यावश्यक हैं बल्कि महत्वपूर्ण भी हैं।यदि गाड़, गदेरे और प्राकृतिक जल स्रोत नहीं होंगे तो गंगाजी जैसी भारत की महा नदी जो नदी मात्र ही नहीं हमारी सांस्कृतिक विरासत है। उसका अस्तित्व भी खतरे में हो रहा है।नदियों के घटते जल स्तर से जैवविविधता और जलीय जीवों का जीवन संकट में है।उसके लिए हम सबको मिलजुलकर सामूहिक जनचेतना लानी होगी।नदियों के संरक्षण के लिए समाज और सरकार को सामूहिक प्रयास करने होंगे। डॉ जुगलान ने कहा कि सामान्यता नागरिकों की सुरक्षा के लिए पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी होती है लेकिन विपरीत परिस्थितियों में सेना को बुलाया जाता है। हम इस बात का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि नदियों के संरक्षण और पुनरोद्धार के लिए रिवर टास्क फोर्स का गठन किया गया है जो विभिन्न राज्यों में अलग अलग रेजीमेंट्स के सेना के जवान नदी संरक्षण के लिए  मुस्तैदी से कार्यरत हैं।मैं इस बात के लिए उन्हें साधुवाद देना चाहता हूं।उन्होंने कहा कि नदियों के संरक्षण के लिए हिमालय के परिस्थिति तंत्र को समझने की आवश्यकता है।उन्होंने नदियों के सूखने के लिए असंतुलति विकास को भी जिम्मेदार ठहराया।उन्होंने जलीय जीवों के संरक्षण के लिए मिनिमम फ्लो ऑफ रिवर (नदियों के न्यूनतम जल प्रवाह )को आवश्यक और महत्वपूर्ण बताया।

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